Apr 23, 2017

ये देश है वीर जवानों का-नया दौर १९५७

हिंदी फिल्म सिनेमा इतिहास में एक ऐसा गीत भी है जो
है तो देशभक्ति गीत मगर इसे सबसे ज्यादा शादी के अवसर
पर सुना जाता है और जनता इस पर खूब नाचती भी है.
ये सिलसिला कैसे शुरू हुआ उसके बारे में मुझे जानकारी
तो नहीं है मगर ये कह सकता हूँ शायद शादी करने वाले
नौजवानों की हिम्मत बढ़ाने के लिए बजाया जाता हो !
शादी करना भी एक हिम्मत का काम है ना. कोई सेंटी
किस्म का दूल्हा बिदाई तक आंसू ना बहाए इसलिए उसे
एडवांस में ये सुना दिया जाता है. साथ में बाराती झूमते
नाचते हैं इस गीत पर, उससे भी दूल्हे की हिम्मत बढती है.

श्रेणी बनाने वाले सयाने इसे देशभक्ति गीत और शादी गीत
दोनों श्रेणियों में शामिल करते हैं. हम भी उनके ज्ञान और
उसके इम्प्लीमेंटेशन की कद्र करते हुए दोनों श्रेणियों में
गिन लेते हैं.

साहिर के लिखे इस गीत को रफ़ी और बलबीर ने गाया है.
बलबीर के गाने से भी इसे बल मिला है. नैयर ने इसकी 
धुन बनाई है.



गीत के बोल:

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों होए
इस देश का यारों क्या कहना
ये देश है दुनिया का गहना


ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
यहाँ चौड़ी छाती वीरों की
यहाँ भोली शक्लें हीरो की
यहाँ गाते हैं रांझे होये
ओ यहाँ गाते हैं रांझे मस्ती में
मचती है धूमें बस्ती में

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
पेड़ों पे बहारें झूलों की
राहों में कतारें फूलों की
यहाँ हँसता है सावन होये
यहाँ हँसता है सावन बालों में
खिलती है कलियाँ गालों में

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
कहीं दंगल शोख जवानों के
कहीं करतब तीर कमानों के
यहाँ नित नित मेले होये
यहाँ नित नित मेले सजते हैं
नित ढोल और ताशे बजते हैं

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
दिलवर के लिए दिलदार हैं हम
दुश्मन के लिए तलवार हैं हम
मैदान में अगर हम
मैदान में अगर हम डट जाएँ
मुश्किल है के पीछे हट जाएँ
……………………………………………………………..
Ye desh hai veer jawanon ka-Naya daur 1957

Artists: Dilip Kumar, Ajit

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