Apr 23, 2017

अरे यार मेरी तुम भी-तीन देवियाँ १९६५

घूंघट पर न जाने कैसे कैसे गीत बन गए. अधिकांश में घूंघट खोलने
का निवेदन है या घूंघट के भीतर से होने वाले नज़रों का जिक्र है.
आपने किसी गीत में कभी सुना है-घूंघट काढने का निवेदन.

ये गीत है तीन देवियाँ फिल्म से आशा और किशोर का गाया हुआ.
मजरूह सुल्तानपुरी ने इसे लिखा है और एस डी बर्मन ने इसकी
धुन बनाई है.





गीत के बोल:

अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

कोई जो मुझको हाथ लगाएगा
हाथ न उसके आऊंगी
मैं तेरे मन की लाल परी हूँ रे
मन में तेरे उड़ जाऊंगी
कोई जो मुझको हाथ लगाएगा
हाथ न उसके आऊंगी
मैं तेरे मन की लाल परी हूँ रे
मन में तेरे उड़ जाऊंगी
तुम परी तो ज़रूर हो पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी झलकी

अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

देख के तरसे लाख ये भंवरे और इन्हें तरसाऊंगी
तेरी गली की एक कली हूँ तेरे गल्ले लग जाऊंगी
देख के तरसे लाख ये भंवरे और इन्हें तरसाऊंगी
तेरी गली की एक कली हूँ तेरे गल्ले लग जाऊंगी
तुम कली तो ज़रूर हो पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी झलकी

अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

डाल के घूंघटा रूप को अपने और नहीं मैं छुपाऊंगी
सुंदरी बन के तेरी बलमवा आज तो मैं लहराऊंगी
डाल के घूंघटा रूप को अपने और नहीं मैं छुपाऊंगी
सुंदरी बन के तेरी बलमवा आज तो मैं लहराऊंगी
सुंदरी तो ज़रूर हो पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी झलकी

अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब
घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आ हा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
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Are yaar merit um bhi ho-Teen deviyan 1965

Artists: Dev Anand, Kalpana

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