अरी ओ शोख कलियों-जब याद किसी की आती है १९६७
है. सिनेमा हॉल वाले इस फिल्म को लगाने के बाद इसका टाइटल
ज़रूर मन ही मन दोहराते रहे होंगे.
फिल्म में २-३ बढ़िया गीत हैं. महेंद्र कपूर का गाया एक लोकप्रिय
गीत सुनते हैं आज. इस गीत को सुनने के लिए जनता सिनेमा घर
तक जाती थी-वो जनता जो संगीत प्रेमी कहलाती है.
धर्मेन्द्र पर फिल्माए गए टॉप रोमांटिक गीतों में इसे मैं शामिल
करता हूँ. राजा मेहँदी अली खान के लाजवाब बोल हैं और इसकी
धुन बनाई है मदन मोहन ने.
गीत के बोल:
अरी ओ शोख कलियों मुस्कुरा देना वो जब आये
अरी ओ शोख कलियों मुस्कुरा देना वो जब आये
सुनो फूलों महक अपनी लुटा देना वो जब आये
वो जब आये अदब से डालियाँ फूलों की झुक जाये
वो जब आये अदब से डालियाँ फूलों की झुक जाये
वो जब गुज़रे चमन से क़ाफ़िले भँवरों के रुक जाये
बहारों तुम गले उसको लगा लेना वो जब आये
अरी ओ शोख कलियों मुस्कुरा देना वो जब आये
बहुत तारीफ़ करती हैं ये कलियाँ बार बार उसकी
बहुत तारीफ़ करती हैं ये कलियाँ बार बार उसकी
तमन्ना है के मैं भी देख लूँ रंगीं बहार उसकी
हवाओं तुम नक़ाब उसकी उठा देना वो जब आये
अरी ओ शोख कलियों मुस्कुरा देना वो जब आये
बग़ैर उसकी मुहब्बत के मैं ज़िंदा रह न पाऊँगा
बग़ैर उसकी मुहब्बत के मैं ज़िंदा रह न पाऊँगा
मगर ये बात दिल की मैं किसी से कह न पाऊँगा
निगाहों हाल-ए-दिल उसको सुना देना वो जब आये
अरी ओ शोख कलियों मुस्कुरा देना वो जब आये
सुनो फूलों महक अपनी लुटा देना वो जब आये
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Ari o shokh kaliyon-Jab yaad kisi ki aati hai
Artists: Dharmendra, Mala Sinha
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