गोरी गोरी पतली कलाई-हिल स्टेशन १९५७
सुनते हैं गीता दत्त और रफ़ी का गाया हुआ.
एश एच बिहारी की रचना है और हेमंत कुमार का संगीत.
हेमंत कुमार ने कई गीतकारों के साथ काम किया है. ये
उनके क्रेडिट है सबसे साथ उनकी ट्यूनिंग अच्छी रही.
गीत के बोल:
गोरी गोरी पतली कलाई रे बलमवा
छोड़ न देना पकड़ के
चले जाना न हमसे अकड़ के
ओ चोरी चोरी मेरी गली आना री सजनिया
न देखे मुहल्ले के लड़के
ओ ज़रा घर से निकलना जी तड़के
गोरी गोरी पतली कलाई रे बलमवा
छोड़ न देना पकड़ के
चले जाना न हमसे अकड़ के
अर रर चोरी चोरी मेरी गली आना री सजनिया
न देखे मुहल्ले के लड़के
ओ ज़रा घर से निकलना जी तड़के
छोड़ के न जाना मेरा दिल न दुखाना
देखो प्यार निभाना ऐ बलम रसिया
ओ मन में बिठाऊँ तोहे अपना बनाऊँ तोहे
तेरे बिन मेरा कहीं लागे न जिया
ओ गोरी लागे न जिया
कहूँ पैंया तुम्हारी मैं पड़ के
चले जाना न हम से अकड़ के
गोरी गोरी पतली कलाई रे बलमवा
छोड़ न देना पकड़ के
चले जाना न हमसे अकड़ के
तेरा हूँ दीवाना तूने इतना न जाना
तोहे मन की ये बतियाँ बताऊँ कैसे
प्यार के मारे गिनूँ रतियाँ को तारे
तुझे अपना ये हाल सुनाऊँ कैसे
ओ सुनाऊँ कैसे
दिल में शोला मुहब्बत का भड़के
चले जाना न हम से अकड़ के
गोरी गोरी पतली कलाई रे बलमवा
छोड़ न देना पकड़ के
चले जाना न हमसे अकड़ के
अर रर चोरी चोरी मेरी गली आना री सजनिया
न देखे मुहल्ले के लड़के
ओ ज़रा घर से निकलना जी तड़के
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Gori gori patli kalai-Hill Station 1957
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