May 11, 2017

जब जब अपना मेल हुआ-महुआ १९६९

महुआ फिल्म से एक मधुर गीत सुनते हैं मोहम्मद रफ़ी और
सुलक्षणा पंडित का गाया हुआ.  सोनिक ओमी के संगीत में
कुछ ऐसे एल्बम हैं जिन्हें आप पूरा सुन सकते हैं. महुआ के
गीत उनकी काफी सारी फिल्मों के गीतों से बेहतर हैं. वैसे
हर संगीतकार अपनी कोशिश के हिसाब से बेहतर की कोशिश
करता है मगर जनता को सभी चीज़ें पसंद नहीं आया करतीं.

गीत लिखा है कमर जलालाबादी ने जिन्होंने इस फिल्म के
सभी गीत लिखे हैं. ये फिल्म का शीर्षक गीत कहा जा सकता
है. महुआ नाम वैसे इस फिल्म के ३ गीतों में लिया जाता है.
थम्ब रूल ये कहता है जिस गीत में फिल्म का नाम आये वो
शीर्षक गीत.




गीत के बोल:

जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा
जनम जनम तक टूट सके ना कभी साथ हमारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा

तेरे गम को गले लगा के हो ओ ओ अपनी खुशियाँ मैं तुझपे लुटा दूं
गथोडा सा तू मुस्कुरा दे हो ओ ओ तो वीराने में कलियाँ खिला दूं
हो ओ ओ ओ ओ ओ शर्माता है कलियों को भी ये बैरी रूप तुम्हारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा

छेड़ के अपने प्यार का नगमा हो ओ ओ  तेरे दिल में तराने जगा दूं
तेरी आँख के आंसू ले के हो ओ ओ नए चाँद सितारे बना दूं
हो ओ ओ ओ ओ ओ नीलगगन पर दीप जले हैं ज़रा देखो नज़ारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा

लाख जनम के अरमानों का हो ओ ओ कोई रंगीन फ़साना बना
ले कर आग तेरे गालों की हो ओ ओ गोरे गोरे कमल मैं खिला दूं
हो ओ ओ ओ ओ ओ आज मिलेगा नदिया से किनारा

जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा
जनम जनम तक टूट सके ना कभी साथ हमारा
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल ये ही पुकारा
....................................................................
Jab jab apna mel hua-Mahua 1969

Artists: Shiv Kumar, Anjana Mumtaz

2 comments:

बिल्ली,  December 3, 2017 at 9:05 PM  

थम्ब रूल अच्छा है.

Geetsangeet December 4, 2017 at 1:03 PM  

तमाम ग्रुप्स और फोरम्स में ज्ञानियों के बीच रह कर हमने ऐसे अनुमान
लगाना सीख लिया है. एक जगह पर पत्तागोभी पर निबंध था जिसकी पहली
पंक्ति कुछ यूँ थी-पत्तागोभी भैंस खा गई.उसके बाद सारा आलेख भैंसों के
ऊपर था. ऐसे उदाहरणों से नियम ये बनता है-बस टोपिक का नाम आलेख
में आना चाहिए चाहे उसके बाद कुछ भी आंय बांय सांय लिखो.

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