माझी नैया ढूंढें किनारा-उपहार १९७१
लोकप्रिय है. इसके गायक मुकेश हैं. जीवन दर्शन के साथ थोड़ा
फ़िल्मी गीतों के रेगुलर मसले वाला मसाला आनंद बक्षी की देन
है.
मौज एक ऐसा शब्द है जो आपको काफी सारे फिलोसोफिकल गीतों
में मिलेगा. मौज का अर्थ है तरंग, हिलोर, लहर इत्यादि.
गीत के बोल:
छल छल बहती जीवन धारा
छल छल बहती जीवन धारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
ओ माझी नैया ढूंढें किनारा
किसी ना किसी की खोज में है ये जग सारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
कभी ना कभी तो समझोगे तुम ये इशारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
ऐसी कोई मौज नहीं जिसको कोई खोज नहीं
ऐसी कोई मौज नहीं जिसको कोई खोज नहीं
कोई ना कोई तो हर किसी को लगता है प्यारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
जीवन पथ पर चलते हुए इक दिन थक कर चलते हुए
जीवन पथ पर चलते हुए इक दिन थक कर चलते हुए
कहीं ना कहीं तो थाम लूँगा आँचल तुम्हारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
जैसे सीता राम मिले जैसे राधा श्याम मिले
जैसे सीता राम मिले जैसे राधा श्याम मिले
कभी ना कभी तो मिलन होगा तुमसे हमारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
माझी नैया ढूंढें किनारा
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Manjhi naiya dhoondhe kinara-Uphaar 1971
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