गरजत बरसत-मल्हार १९५१
मल्हार से. इसे लता मंगेशकर ने गाया है.
ओ पी नैयर ने सही कहा था-संगीतकार रौशन
अपने दिल से संगीत तैयार करते थे. इसका एक
और अच्छा उदाहरण है ये गीत.
ये एक पारंपरिक गीत है जिसकी बंदिश गौड़ मल्हार
में है.
गीत के बोल:
गरजत बरसत भीजत आईलो
गरजत बरसत भीजत आईलो
तुमरे मिलन को अपने प्रेम पिहरवा
लो गरवा लगाए
गरजत बरसत भीजत आईलो
गरजत बरसत भीजत आईलो
तुमरे मिलन को अपने प्रेम पिहरवा
लो गरवा लगाए
गरजत बरसत भीजत आईलो
गरजत
जो लो हम तुम इक ढिंग रहिलो
जो लो हम तुम इक ढिंग रहिलो
तो लो रहिलो हियरा समान
तो लो रहिलो हियरा समान
सावन आईलो लाल चुनरिया
सावन आईलो लाल चुनरिया
दे हो रंगाय
गरजत बरसत भीजत आईलो
गरजत बरसत भीजत आईलो
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Garjat barsat bheejat-Malhar 1951
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