Jul 14, 2017

हसीनों के जलवे परेशान रहते-बाबर १९६०

चार गायकों का गाया एक गीत सुनते हैं पुरानी फिल्म से.
लंबा गीत है ये तकरीबन साढ़े नौ मिनट का.

फिल्म: बाबर
वर्ष: १९६०
गीतकार; साहिर लुधियानवी
गायक: मन्ना डे, रफ़ी, आशा, सुधा मल्होत्रा






गीत के बोल:

हसीनों के जलवे परेशान रहते
हाँ हो ओ हसीनों के जलवे परेशान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
हसीनों के जलवे

मोहब्बत से तुम लोग अनजान रहते
होए मोहब्बत से तुम लोग अनजान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
मोहब्बत से तुम लोग अनजान रहते

हमीं ने तुम्हें जान-ए-महफ़िल बनाया
निगाहों में तुलने के क़ाबिल बनाया
हमीं ने सिखाया तुम्हें वार करना
हुए क़त्ल और तुमको क़ातिल बनाया
हुए क़त्ल और तुमको क़ातिल बनाया
ये सब नाज़-ओ-अन्दाज़ बेजान रहते
बेजान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
हसीनों के जलवे परेशान रहते

हमीं ने तुम्हें प्यार की रोशनी दी
जो आँचल से छनती है वो चाँदनी दी
नज़र से जवानी की शबनम लुटा के
तमन्ना के हर फूल को ताज़गी दी
तमन्ना के हर फूल को ताज़गी दी
चमन आरजुओं के वीरान रहते
वीरान रहते
चमन आरजुओं के वीरान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते

अगर हम न होते तो क्या बात बनती
सियाह ज़ुल्फ़ कैसे हसीं रात बनती
अगर हम न चाहत के सजदे लुटाते
ख़ुदा किस तरह हुस्न की बात बनती
ख़ुदा किस तरह हुस्न की बात बनती
बुतों को ख़ुदाई के अरमान रहते
अरमान रहते
बुतों को ख़ुदाई के अरमान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
हसीनों के जलवे परेशान रहते

तुम्हें हमने जादू भरे ख़्वाब बख़्शे
अँधेरी फ़िज़ाओं को महताब बख़्शे
जुनूँ को वफ़ा का सलीका सिखाया
दिलों को धड़कने के आदाब बख़्शे
दिलों को धड़कने के आदाब बख़्शे
ये नादान दिल यूँ ही नादान रहते
नादान रहते
ये नादान दिल यूँ ही नादान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
मोहब्बत से तुम लोग अनजान रहते

जवाँ बाज़ुओं को लचक हमने दी है
हसीं चूड़ियों को खनक हमने दी है
हमीं ने भरा लोच अँगड़ाइयों में
तुम्हें बिजलियों की चमक हमने दी है
तुम्हें बिजलियों की चमक हमने दी है
तुम इस हुस्न पर ख़ुद पशेमान रहते
पशेमान रहते
तुम इस हुस्न पर ख़ुद पशेमान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
हसीनों के जलवे परेशान रहते

दुआ दो के तुमको मुहब्बत सिखा दी
मुरव्वत की ख़ातिर शराफ़त सिखा दी
हमीं ने तुम्हें ढंग-ए-तहज़ीब बख़्शा
हमीं ने तुम्हें आदमियत सिखा दी
हमीं ने तुम्हें आदमियत सिखा दी
ज़माने में वहशत के सामान रहते
सामान रहते
ज़माने में वहशत के सामान रहते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम न होते अगर हम न होते
अगर हम अगर हम अगर हम अगर हम न होते
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Haseeno ke jalwe pareshan-Babar 1960

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