कभी कभी सपना लगता है-रत्नदीप १९७९
आंधी के गीतों की क्वालिटी वाला है. इसके बोल भी गुलज़ार ने लिखे
हैं. गीत गाया है किशोर और आशा ने.
गीत पार्श्व में बन रहा है मानो दिल की भावनाएं ध्वनियों के रूप
में बाहर निकल रही हैं. भावनाओं की तरंगें काफी शक्तिशाली होती
हैं और उनका प्रभाव ज़रूर होता है बस तरंगों की शक्ति और गुण
अपने उच्च स्तर पर होना चाहिए. गीत में दो बढ़िया कलाकार नज़र
आयेंगे आपको-गिरीश कर्नाड और हेमा मालिनी.
गीत के बोल:
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
मुझे अगर बाहों में भर लो शायद तुमको चैन मिले
मुझे अगर बाहों में भर लो शायद तुमको चैन मिले
चैन तो उस दिन खोया मैंने जिस दिन तुमसे नैन मिले
फिर भी ये अच्छा लगता है
मगर अभी सपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
चेहरे पे है और एक चेहरा कैसे उसे हटाउं
मेरा सच गर तुम अपना लो जनम जनम तरसाऊं
ऐसे सब सच्चा लगता है
सब का सब सपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊं
कभी कभी सपना लगता है
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Kabhi kabhi sapna lagta hai-Ratnadeep 1979
Artists: Girish Karnad, Hema Malini
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