अजनबी से बन के-एक राज़ १९६३
और किशोर कुमार ने गाया है. इसे फिल्माया गया है जमुना और
किशोर कुमार पर.
मजरूह सुल्तानपुरी के बोल और चित्रगुप्त के संगीत वाले इस गीत
को आपने कई बार रेडियो के कार्यक्रमों पर सुन लिया होगा.
गीत के बोल:
अजनबी से बन के करो ना किनारा
अजनबी से बन के करो ना किनारा
खुदारा इधर भी देखो
इधर भी खुदारा
आप का तो दिल है दीवाना बेचारा
आप का तो दिल है दीवाना बेचारा
इशारा न समझेगा ये
नज़र का इशारा
अजनबी से बन के
हो ओ ओ
हम न पड़ेंगे नज़रों की चाह में
फिर चल रही हो क्यों मेरी राह में
हो ओ ओ ओ
हम न पड़ेंगे नज़रों की चाह में
फिर चल रही हो क्यों मेरी राह में
हो ओ ओ
बेखुदी में हम को मौसम ने था पुकारा
अजनबी से बन के करो ना किनारा
खुदारा इधर भी देखो
इधर भी खुदारा
अजनबी से बन के
हो ओ ओ
बेताब दिल है ऐसी भी चाल क्या
दिल है तुम्हारा हम जाने हाल क्या
हो ओ ओ ओ
बेताब दिल है ऐसी भी चाल क्या
दिल है तुम्हारा हम जाने हाल क्या
हो हो हो
देखिये नज़र में अफ़साना है हमारा
आप का तो दिल है दीवाना बेचारा
इशारा न समझेगा ये
नज़र का इशारा
अजनबी से बन के
हो ओ ओ
ये लो चले हम चलता है ये समां
ये तो बता दो मिलना है फिर कहाँ
हो ओ ओ ओ
ये लो चले हम चलता है ये समां
ये तो बता दो मिलना है फिर कहाँ
हो ओ ओ ओ
एक नज़र है काफी क्या मिलना फिर दोबारा
अजनबी से बन के करो ना किनारा
खुदारा इधर भी देखो
इधर भी खुदारा
आप का तो दिल है दीवाना बेचारा
इशारा न समझेगा ये
नज़र का इशारा
अजनबी से बन के
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Ajnabi se ban ke-Ek raaz 1963
Artists: Kishore Kumar, Jamuna
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