Aug 22, 2017

अकेला हूँ मैं इस दुनिया में-बात एक रात की १९६२

फिल्म के नाम से तो यूँ लगता है कोई हॉरर फिल्म हो मगर
ऐसा नहीं है. सस्पेंस अलबत्ता ज़रूर है इस कहानी में. फिल्म
में कुछ बढ़िया गाने हैं जिनमें से एक आपको आज सुनवाते हैं.

मजरूह सुल्तानपुरी के बोल हैं, एस डी बर्मन का संगीत और
रफ़ी की खनकती आवाज़.



गीत के बोल:

अकेला हूँ मैं इस दुनिया में
कोई साथी है तो मेरा साया
अकेला हूँ मैं इस दुनिया में
कोई साथी है तो मेरा साया
अकेला हूँ मैं

न तो परवाना और न दीवाना
मैं किसी महफ़िल का
सूनी सूनी राहें थामती हैं बाहें
ग़म किसे मन्ज़िल का
न तो परवाना और न दीवाना
मैं किसी महफ़िल का
सूनी सूनी राहें थामती हैं बाहें
ग़म किसे मन्ज़िल का
मैं तो हूँ राही दिल का
हाय साथी है तो मेरा साया
अकेला हूँ मैं इस दुनिया में
कोई साथी है तो मेरा साया
हठेला हूँ मैं

जैसे कभी प्यारे झील के किनारे
हँस अकेला निकले
वैसे ही देखो जी ये मनमौजी
मौजों के सीने पे चले
जैसे कभी प्यारे झील के किनारे
हँस अकेला निकले
वैसे ही देखो जी ये मनमौजी
मौजों के सीने पे चले
चाँद सितारों के तले
साथी है तो मेरा साया
थकेला हूँ मैं इस दुनिया में
कोई साथी है तो मेरा साया
अकेला हूँ मैं
…………………………………………………
Akela hoon main-Baat ek raat ki 1962
 
Artist: Dev Anand

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