ये फासले तेरी गलियों के-मम्मो १९९४
सन १९९४ में अवतरित हुयी थी. जैसे नाम इसके साथ जुड़े हैं,
मसलन निर्देशक, निर्माता-एन एफ डी सी और संगीत निर्देशक
इस फिल्म के-वनराज भाटिया, प्रथम दृष्टया ये फिल्म कोई आर्ट
फिल्म ही दिखाई देती है.
फिल्म के नाम से कुछ ऐसे शब्द-मम्मा, मामू, कम्मो, इत्यादि
याद आ जाते हैं, क्यूँ, समझ नहीं आता.
गीत के बोल:
ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय न हुए
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
न जाने कौन सी मट्टी वतन की मट्टी थी
न जाने कौन सी मट्टी वतन की मट्टी थी
नज़र में धूल जिगर में लिये ग़ुबार चले
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
ये कैसी सरहदें उलझी हुई हैं पैरों में
ये कैसी सरहदें उलझी हुई हैं पैरों में
हम अपने घर की तरफ़ उठ के बार बार चले
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
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Ye faasle teri galiyon ke-Mammo 1994
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