Aug 15, 2017

फ़ौजी गया जब गाँव में-आक्रमण १९७५

बॉलीवुड समय समय पर देश भक्ति की फ़िल्में बनाता रहता है.
ये ज़रूरी भी हैं हमें अपने वीर जवानों की शहादत और योगदान
को याद दिलाने के लिए. मनोज कुमार ने इस थीम पर काफी
फ़िल्में बनाई हैं और उसके अलावा सामाजिक समस्याओं पर भी
कुछ फ़िल्में उनकी हैं जो दूसरे निर्देशकों और निर्माताओं की फिल्मों
से ज्यादा टोपिक को कवर करती हैं. फिल्म में मसाले नहीं होंगे
तो उसकी कमर्शियल वायबिलिटी संदिग्ध होगी. बिना गाने वाली
फिल्म को हमारे यहाँ वृत्त चित्र समझा जाता है.

आज जिस फिल्म से आपको गीत सुनवा रहे हैं उसके नायक है
राजेश खन्ना.

सुनते हैं ७५ की फिल्म आक्रमण से एक लोकप्रिय गीत किशोर कुमार
का गाया हुआ. आनंद बक्षी के बोल हैं और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का
संगीत.

   


गीत के बोल:

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
पहन के रंगरूट फ़ुल बूट पाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

पहले लोगों ने रखा था मेरा नाम निखट्टू
पहले लोगों ने रखा था मेरा नाम निखट्टू
ओए दो दिन में जग ऐसे घूमा जैसे घूमें लट्टू
भरती हो के करनैला करनैल सिंह बन बैठा
मेरा बापू साथ मेरे जरनैल सिंह बन बैठा
आते देखा मुझको तो सब करने लगे सलामी
आगे पीछे दौड़े चाचा-चाची मामा-मामी

यारों ने सामान उठा कर रखा अपने सर पे
यारों ने सामान उठा कर रखा अपने सर पे
दरवाजे पर बैठे थे सब जब मैं पहुँचा घर पे
कस कर पूरे जोर से फिर मैने सैल्यूट जो मारा
सबकी छुट्टी हो गई फिर मैने बूट से बूट जो मारा

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

घर के अन्दर जा कर फिर जब मैने खोला बक्सा
घर के अन्दर जा कर फिर जब मैने खोला बक्सा
हाय देख रहे थे सब देखें जंग का नक्शा
सबको था मालूम शाम को खुलेगी रम की बोतल
सबको था मालूम शाम को खुलेगी रम की बोतल
सब आ बैठे घर पर मेरे घर मेरा बन गया होटल

बीच में बैठा था मैं सब बैठे थे आजू बाजू
इतने में बंदूक चली भई गाँव में आये डाकू हाँ
उतर गई थी सबकी छुप गए सारे डर के मारे
उतर गई थी सबकी छुप गए सारे डर के मारे
मैं घर से बाहर निकला सब मेरा नाम पुकारें
मार के लाठी ज़मीं पे झट से डाकुओँ को ललकारा
वे थे चार अकेला मैं मैने चारों को मारा

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

छोड़ के अपने घोड़े डाकू जान बचा कर भागे
छोड़ के अपने घोड़े डाकू जान बचा कर भागे
मेरी वाह-वाह करते सुबह नींद से लोग जागे
मैं खेतों की सैर को निकला मौसम था मस्ताना
रस्ते में वो मिली मेरा था जिससे इश्क़ पुराना
जिससे इश्क़ पुराना
ख़ूब सुने और ख़ूब सुनाये किस्से अगले-पिछले
भई ख़ूब सुने और ख़ूब सुनाये किस्से अगले-पिछले
निकला चाँद तो हम दोनों भी खेत से बाहर निकले
हाय-हाय मच गया शोर सारे गाँव में

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
ओय फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
.............................................................................
Fauji gaya jab gaon mein-Aakraman 1975

Artist: Rajesh Khanna

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP