चाँद मेरा दिल चाँदनी हो तुम-हम किसी से कम नहीं १९७७
के कुछ बनाया गया था जिसे जनता कोम्पिटीशन या मेडले जैसा कुछ
कहती है. उसी का एक हिस्सा है रफ़ी का ये गीत.
आज सुनते है इसे जिसे मजरूह ने लिखा है और आर डी बर्मन ने
संगीत से संवारा. पाठक सोचते होंगे ये संवारा, सजाया इत्यादि शब्द
बारम्बार क्यूँ आते हैं पोस्ट में. इसका जवाब ये है जब आप रेडियो
पर किसी कार्यक्रम में इन्हें बार बार सुन कर बोर नहीं होते है तो
यहाँ भी नहीं होना चाहिए.
गीत के बोल:
चाँद मेरा दिल चाँदनी हो तुम
चाँद से है दूर चाँदनी कहाँ
लौट के आना है यहीं तुमको
जा रहे हो तुम जाओ मेरी जां
वैसे तो हर क़दम मिलेंगे लोग सनम
मिलेगा सच्चा प्यार मुश्किल से
दिल की दोस्ती खेल नहीं कोई
दिल से दिल है मिलता यार मुश्किल से
यही तो है सनम प्यार का ठिकाना
मैं हूँ मैं हूँ मैं हूँ
चाँद मेरा दिल चाँदनी हो तुम
चाँद से है दूर चाँदनी कहाँ
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Chand mera dil-Hum kisi se kam nahin 1977
Artist: Tariq
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