दीवारों से मिल कर रोना-एक ही मकसद १९८८
एक गीत जिसकी धुन पंकज उधास ने बनाई है. इसे गाया
है अनुराधा पौडवाल ने.
ओम पुरी और दिव्या राणा फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं. ये
गीत सबसे पहले हमने पंकज उधास की आवाज़ में ही सुना
था. रचना कैसर उल जाफरी की है.
गीत के बोल:
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दीवारों से
चलते चलते राह में कैसा मोड ये आया है
चलते चलते राह में कैसा मोड ये आया है
अपनी मंजिल का हर रास्ता धुंधला लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दीवारों से
कैसी यादें हैं जो उलझन बन कर आई हैं
कैसी यादें हैं जो उलझन बन कर आई हैं
हमसे जुदा अब हमको अपना साया लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दीवारों से
रोक सके तो रोक ले कोई वक्त की ये रफ़्तार
आने वाले हर एक पल से डर सा लगता है
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दीवारों से
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Deewaron se mil kar rona-Ek hi maqsad 1988
Artists: Om Puri, Divya Rana
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