और नहीं बस और नहीं-रोटी कपड़ा और मकान १९७४
था फिल्म गुमराह के गीत ‘चलो एक बार फिर से अजनबी’
के लिए. उन्हें दूसरा पुरस्कार मिला फिल्म हमराज़ के
गीत ‘नीले गगन के तले’ के लिए. दोनों ही गीत रवि के
संगीत निर्देशन वाले हैं और दोनों के गीतकार साहिर हैं.
संयोग है कि ये दोनों गीत परदे पर सुनील दत्त ने गाये
हैं.
१९६८ के पुरस्कारों के लिए फिल्म उपकार का गीत ‘मेरे
देश की धरती’ नामांकित तो हुआ मगर उसे फिल्मफेयर
पुरस्कार नहीं मिला बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिल गया. ये
कल्याणजी आनंदजी के संगीत निर्देशन वाला गीत है जिसे
इन्दीवर ने लिखा है. इसे मनोज कुमार पर फिल्माया गया
था.
१९७४ की फिल्म रोटी कपडा और मकान के प्रस्तुत गीत
के लिए भी उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ. फिल्म में
ये गीत मनोज कुमार पर फिल्माया गया है. संतोष आनंद
की रचना है और लक्ष्मी प्यारे का संगीत.
गीत के बोल:
और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं
और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं
दिल में जगह नहीं बाकी रोक नजर अपनी साकी
और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं
और नहीं बस और नहीं
सपने नहीं यहाँ तेरे अपने नहीं यहाँ तेरे
सपने नहीं यहाँ तेरे अपने नहीं यहाँ तेरे
सच्चाई का मोल नहीं चुप हो जा कुछ बोल नहीं
प्यार प्रीत चिल्लायेगा तो अपना गला गँवाएगा
पत्थर रख ले सीने पर क़समें खा ले जीने पर
क़समें खा ले जीने पर
गौर नहीं है गौर नहीं परवानों पर गौर नहीं
आँसू आँसू ढलते हैं अंगारों पर चलते हैं
तो और नहीं बस और नहीं
कितना पढ़ूँ ज़माने को कितना गढ़ूँ ज़माने को
कौन गुणों को गिनता है कौन दुखों को चुनता है
हमदर्दी काफ़ूर हुई नेकी चकनाचूर हुई
जी करता बस खो जाऊँ कफ़न ओढ़कर सो जाऊँ
कफ़न ओढ़कर सो जाऊँ
दौर नहीं ये दौर नहीं इन्सानों का दौर नहीं
फ़र्ज़ यहाँ पर फ़र्ज़ी है असली तो खुदगर्ज़ी है
तो और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं
और नहीं बस और नहीं
बीमार हो गई दुनिया बेकार हो गई दुनिया
मरने लगी शरम अब तो बिकने लगे सनम अब तो
ये रात है नज़ारों की गैरों के साथ यारों की
तो जी है बिगाड़ दूँ सारी दुनिया उजाड़ दूँ सारी
दुनिया उजाड़ दूँ सारी
ज़ोर नहीं है ज़ोर नहीं दिल पे किसी का ज़ोर नहीं
कोई याद मचल जाए सारा आलम जल जाए
तो और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं
और नहीं बस और नहीं
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Aur nahin bas aur nahin-Roti kapda aur makan 1974
Artist: Manoj Kumar
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