Oct 8, 2017

न तू ज़मीं के लिए है-दास्तान १९७२

आज रंगीन युग में बनी दास्तान से एक गीत सुनते हैं.
पुरानी दास्तान में नौशाद का संगीत था. इस फिल्म में
लक्ष्मी प्यारे का संगीत है. गीत रफ़ी का गाया हुआ है.
बोल साहिर लुधियानवी के हैं.

गीत सुन कर ऐसा लगता है मानो लक्ष्मी प्यारे ने कुछ
धुनें नौशाद की सुनने के बाद इस गीत की रचना की हो.
वो फील लाने के लिए. फिल्म में दिलीप कुमार नायक जो
हैं. पढते रहिये और चुपचाप कॉपी करते रहिये ये ब्लॉग.



गीत के बोल:

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
तेरा wajood hai
तेरा वजूद है अब सिर्फ़ दास्ताँ के लिए
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

पलट के सू-ए-चमन देखने से क्‌या होगा
पलत के सू-ए-चमन देखने से क्‌या होगा
वो शाख़ ही न रही jo thi आशियाँ के लिए
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

ग़रज़ परस्त जहाँ में वफ़ा तलाश न कर
ग़रज़ फरस्त जहाँ में वफ़ा तलाश न कर
ये शै बनी है किसी दूसरे jahan ke liye
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
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Na too zameen ke liye-Dastaan 1972

Artist: Dilip Kumar

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