तय करके बड़ी दूर-पहली नज़र १९४५
में. डगरिया, नगरिया, नजरिया, सांवरिया, बजरिया वाला ये
गीत थोडा अलग हट के है.
गीत के बोल हैं सफ़दर आह सीतापुरी के और धुन बनाई है
अनिल बिश्वास ने.
गीत के बोल:
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
ऐ इश्क़ चले आये हैं हम तेरी नगरिया
ओ तेरी नगरिया
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
ऐ इश्क़ चले आये हैं हम तेरी नगरिया
ओ तेरी नगरिया
लहराये हवाओं में हसीनों के दुपट्टे
लहराये हवाओं में हसीनों के दुपट्टे
आये हम लेने के लिए तिरछी नज़रिया
ओ तिरछी नज़रिया
आये हम लेने के लिए तिरछी नज़रिया
ओ तिरछी नज़रिया
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
हो सामने सज धज किये माशूक़ के मजमे
हो सामने सज धज किये माशूक़ के मजमे
सब आ के कहे आओ मेरे बांके साँवरिया
सब आ के कहे आओ मेरे बांके साँवरिया
ओ मेरे बांके साँवरिया
ऐ इश्क़ चले आये हैं हम तेरी नगरिया
ओ तेरी नगरिया
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
परदेस से इक आया है दिल बेचने वाला
परदेस से परदेस से
परदेस से इक आया है दिल बेचने वाला
ऐ हुस्न तेरी आज तो खुल जाए बजरिया
ऐ हुस्न तेरी आज तो खुल जाए बजरिया
ओ खुल जाए बजरिया
ऐ इश्क़ चले आये हैं हम तेरी नगरिया
ओ तेरी नगरिया
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
ऐ इश्क़ चले आये हैं हम तेरी नगरिया
ओ तेरी नगरिया
तय करके बड़ी दूर की परपेच डगरिया
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Tay kar ke badi door-Pehli nazar 1945
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