हमेशा तुमको चाहा-देवदास २००२
आज. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास बीसवी सदी की सबसे
चर्चित कृतियों में से एक है. उल्लेखनीय है ये उपन्यास उन्होंने
१७ वर्ष की उम्र में लिखा डाला था.
देवदास उपन्यास पर फ़िल्में कई भाषाओँ में बनायीं का चुकी है.
उपन्यास पर सबसे पहले मूक युग में फिल्म बनी थी. १९३६ की
देवदास बनने के पहले इसे बंगाली भाषा में बनाया जा चुका था.
नुसरत बद्र के बोल हैं और इस्माईल दरबार का संगीत. इसे गाया
है कविता कृष्णमूर्ति ने.
गीत के बोल:
आई ख़ुशी की ये रात आई सज-धज के बारात है आई
धीरे धीरे गम का सागर थम गया आँखों में आ कर
गूँज उठी है जो शहनाई तो आँखों ने ये बात बताई
हमेशा तुमको चाहा और चाहा और चाहा चाहा चाहा
हमेशा तुमको चाहा और चाहा कुछ भी नहीं
तुम्हे दिल ने है पूजा पूजा पूजा और पूजा कुछ भी नहीं
ना ना नहीं ना ना नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
कुछ भी नहीं हो ओ ओ कुछ भी नहीं
हो ओ कुछ भी नहीं
खुशियों में भी छाई उदासी
दर्द की छाया में वो लिपटी
कहने पिया से बस ये आई
कहने पिया से बस ये आई
जो दाग तुमने मुझ को दिया
उस दाग से मेरा चेहरा खिला
रखूँगी इसको निशानी बना कर
माथे पे इस को हमेशा सजा कर
ओ प्रीतम ओ प्रीतम बिन तेरे मेरे इस जीवन में
कुछ भी नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
कुछ भी नहीं
बीते लम्हों की यादें ले कर
बोझल कदमों से वो चल कर
दिल भी रोया और आँख भर आई
मन से आवाज़ है आई
वो बचपन की यादें वो रिशते वो नाते
वो सावन के झूले वो हँसना वो हँसाना
वो रूठ के फिर मनाना
वो हर एक पल मैं दिल में समाए
दिये में जलाए ले जा रही हूँ
मैं ले जा रही हूँ मैं ले जा रही हूँ
ओ प्रीतम ओ प्रीतम बिन तेरे मेरे इस जीवन में
कुछ भी नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
कुछ भी नहीं
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हे हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हमेशा तुमको चाहा और चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हे हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हाँ चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
बस चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हाँ चाहा चाहा चाहा
……………………………………………………….
Hamesha tumko chaha-Devdas 2002
Artists: Sharukh Khan, Aishwarya Rai
0 comments:
Post a Comment