उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया-आराम १९५१
या मदन मोहन के संगीत वाले गीत याद आ जाते हैं विशेषकर
वो जो लता के गाये हुए हैं. लता मंगेशकर के लिए विशेष गीत
बनाने के मामले में अनिल बिश्वास का काफी बड़ा योगदान है.
अनिल बिश्वास के संगीत को पसंद करने वालों को ये बतलाने
की ज़रूरत नहीं है. तकनीकी दृष्टि से भी उनकी धुनें औरों से
बेहतर हुआ करती थीं.
सुनते हैं फिल्म आराम से राजेंद्र कृष्ण का लिखा गीत जिसे लता
ने गाया है.
गीत के बोल:
बिगड़ बिगड़ के बनी थी क़िस्मत
बन बन के फिर बिगड़ी
बन बन के फिर बिगड़ी
उजड़ी रे
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी
उजड़ी रे
मेरे मन की आशाओं ने इक तसवीर बनाई
मेरे मन की आशाओं ने इक तसवीर बनाई
तसवीर मिटा दी दुनिया ने तक़दीर बनी और बिगड़ी
उजड़ी रे
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी
उजड़ी रे
दिल को लगन है जिसकी नहीं क़िस्मत में मुहब्बत उसकी
दिल को लगन है जिसकी नहीं क़िस्मत में मुहब्बत उसकी
बुलबुल से है फूल जुदा और फूल से बुलबुल बिछड़ी
उजड़ी रे
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी
उजड़ी रे
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Ujdi re mere pyar ki duniya-Aaram 1951
Artist: Madhubala
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