ये ज़िंदगी के मेले-मेला १९४८
हैं आज. ये रफ़ी के कैरियर के शुरुआत सालों का एक बड़ा हिट
गीत है.
दिलीप कुमार और नर्गिस अभिनीत मेला का निर्देशन एस यू सनी
ने किया था. उनके निर्देशन वाली ये दूसरी फिल्म थी. इसके पहले
उन्होंने सन १९४७ की फिल्म शांति का निर्देशन किया था. सनी के
निर्देशन वाली बाबुल भी चर्चित फिल्म है जो १९५० में आई थी.
गीत के बोल:
ये ज़िंदगी के मेले
ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे
अफ़सोस हम न होंगे
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
दुनिया है मौज-ए-दरिया क़तरे की ज़िंदगी क्या
दुनिया है मौज-ए-दरिया क़तरे की ज़िंदगी क्या
पानी में मिल के पानी अंजाम ये के पानी
पानी में मिल के पानी अंजाम ये के पानी
दम भर को सांस ले ले
दम भर को सांस ले ले
ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे
अफ़सोस हम न होंगे
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
होंगी यही बहारें उल्फ़त की यादगारें
होंगी यही बहारें उल्फ़त की यादगारें
बिगड़ेगी और बनेगी दुनिया यही रहेगी
बिगड़ेगी और बनेगी दुनिया यही रहेगी
होंगे यही झमेले
होंगे यही झमेले
ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे
अफ़सोस हम न होंगे
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
इक दिन पड़ेगा जाना क्या वक़्त क्या ज़माना
इक दिन पड़ेगा जाना क्या वक़्त क्या ज़माना
कोई न साथ देगा सब कुछ यहीं रहेगा
कोई न साथ देगा सब कुछ यहीं रहेगा
जायेंगे हम अकेले
जायेंगे हम अकेले
ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे
अफ़सोस हम न होंगे
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
ये ज़िंदगी के मेले ये ज़िंदगी के मेले
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Ye zindagi ke mele-Mela 1948
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