Dec 24, 2017

ज़ालिम ज़माने ने इतना सताया है-दिल्ली जंक्शन १९६०

दिल्ली दिलवालों के इसलिए भी है क्यूंकि दिल्ली शब्द में दिल
छुपा हुआ है. दिल्ली शब्द के ऊपर कई फ़िल्में बन चुकी हैं अभी
तक जिनमें शशि कपूर की ८० के दशक की फिल्म भी शामिल है.

आज सुनते हैं साथ के दशक की फिल्म दिल्ली जंक्शन से एक
गाना लता मंगेशकर का गाया हुआ, गुलशन बावरा के लिखे इस
गीत की तर्ज़ बनाई है कल्याणजी आनंदजी ने.




गीत के बोल:

ज़ालिम ज़माने ने इतना सताया है
रोने लगी ज़िन्दगी ग़म मुस्कुराया है
हो ओ ओ ओ
ज़ालिम ज़माने ने इतना सताया है
रोने लगी ज़िन्दगी ग़म मुस्कुराया है
हो ओ ओ ओ
ज़ालिम ज़माने ने

फूटी मेरी क़िस्मत टूटे सभी सपने
हो ओ ओ ओ
फूटी मेरी क़िस्मत टूटे सभी सपने
गैरों से शिक़वा क्या करें लूट गए अपने
अपना जिसे समझे उसने मिटाया है
रोने लगी ज़िन्दगी ग़म मुस्कुराया है
हो ओ ओ ओ
ज़ालिम ज़माने ने

आँसू मेरे कब तक देंगे सहारा मुझे
आँसू मेरे कब तक देंगे सहारा मुज़े
तू ही सहारा ऐ मौत दे रो रो पुकारा तुझे
जीने से भी अब तो जी घबराया है
रोने लगी ज़िन्दगी ग़म मुस्कुराया है
हो ओ ओ ओ
ज़ालिम ज़माने ने इतना सताया है
रोने लगी ज़िन्दगी ग़म मुस्कुराया है
हो ओ ओ ओ
ज़ालिम ज़माने ने
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Zalim zamane ne-Delhi Junction 1960

Artist: Nishi

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