जहर देता है मुझे कोई दवा(आशा)-वोही बात १९७७
zoomta मौसम मस्त महीना, zalebi खाने वाले, zamun के
शौक़ीन और zatke दे दे के गाने वाले. वो zab याद आये
बहुत याद आये.
नक्श लायलपुरी की लिखी एक बढ़िया रचना सुनते हैं
फिल्म वोही बात से. इस फिल्म से आपको एक गीत हम
पहले सुनवा चुके हैं.
गीत के बोल:
जहर देता है मुझे कोई दवा देता है
जहर देता है मुझे कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मिलता है
जो भी मिलता है मेरे गम को बढ़ा देता है
जहर देता है मुझे कोई
क्यों सुलगती हैं मेरे दिल में पुरानी यादें
क्यों सुलगती हैं मेरे दिल में पुरानी यादें
कौन बुझते हुये शोलों को हवा देता है
जहर देता है मुझे कोई
हाल हँस हँस के बुलाता है कभी बाहों में
हाल हँस हँस के बुलाता है कभी बाहों में
कभी माझी मुझे रो रो के सदा देता है
जहर देता है मुझे कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मेरे गम को बढ़ा देता है
जहर देता है मुझे कोई
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Zehar deta hai mujhe koi(Asha)-Wohi baat 1977
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