चाहा तो बहुत न चाहें तुझे-इम्तिहान १९९४
चाहना और ना चाहना ये दोनों भाव इसके मुखड़े में मौजूद हैं. वो
कहते हैं किसी का बस ना चलना. कई चीज़ें ऑटो-मेटिकली होती
हैं जिन पर किसी का बस ट्रक या जोर नहीं चलता.
गीत गाया है कुमार सानू और बेला सुलाखे ने. फैज़ अनवर की
रचना है और अन्नू मलिक का संगीत.
गीत के बोल:
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
दिल ही तो है तुमपे आ ही गया दिल का सनम यह क़सूर नहीं
चाहा तो बहुत चाहा तो बहुत चाहा तो बहुत
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
दिल ही तो है तुमपे आ ही गया दिल का सनम ये क़सूर नहीं
चाहा तो बहुत हो चाहा तो बहुत
तेरा नाम है इन होंठों पे सीने में है तस्वीर तेरी
तूने मुझको अपना माना ये है सनम तक़दीर मेरी
हो ये है सनम तक़दीर मेरी
दिल ये पुकारे मिल के सनम हम
दिल ये पुकारे मिल के सनम हम होंगे कभी अब दूर नहीं
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
दिल ही तो है तुमपे आ ही गया दिल का सनम ये क़सूर नहीं
चाहा तो बहुत हो चाहा तो बहुत
जाने किस तरह वो जीते हैं जिनका कोई दिलदार नहीं
पत्थर होंगे उनके दिल में जिनको किसी से प्यार नहीं
ओ जिनको किसी से प्यार नहीं
करते न कैसे इकरार तुमसे
करते न कैसे इकरार तुमसे इतने भी हम मग़रूर नहीं
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
दिल ही तो है तुमपे आ ही गया दिल का सनम ये क़सूर नहीं
चाहा तो बहुत न चाहें तुझे चाहत पे मगर कोई ज़ोर नहीं
चाहा तो बहुत हो चाहा तो बहुत
चाहा तो बहुत
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Chaha to bahut na chahen tujhe-Imtihaan 1994
Artists: Saif Ali Khan, Raveena Tandon
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