काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है-लावारिस १९८१
सफल गीत दिए थे ७० और ८० के दशक में. अधिकांश इनमें से
अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गये हैं.
अनजान ने कई सार्थक गीत लिखे हैं. ये निर्माता निर्देशक के चयन
पर निर्भर होता है कि कौन सा गीत फिल्म में दिखलाई देगा. ऐसे
गीत सभी दशकों में बने हैं और आज भी बन रहे हैं. हर दर्शनवादी
गीत लोकप्रिय ही हो ज़रूरी नहीं. कई गीत हाशिए पे पहुंचे हुए हैं.
सुनते हैं अमिताभ और जीनत अमान पर फिल्माया गया लावारिस
का ये गीत. फिल्म का नायक गरीब है और नायिका अमीर. हर
फ़िल्मी निर्देशक ने नायक को फटे चिथड़ों में नहीं दिखलाया है, कुछ
ने तो फ़िल्मी गरीबों को शानदार कपडे पहना कर उन्हें ग्रेस प्रदान
किया है. ग्रीस लगाने वाले यदार्द्वादी निर्देशक तो कम ही हुए फिल्म
जगत में.
गीत में जो अब तक आपने ध्यान से नहीं देखा वो है एक जगह पर
छोटा सा कुत्ता भी अमिताभ के नृत्य को देख कर उसी अंदाज़ में
हिलता डुलता है.
गीत के बोल:
चार पैसे क्या मिले
क्या मिले भई क्या मिले
वो ख़ुद को समझ बैठे ख़ुदा
वो ख़ुदा ही जाने अब
होगा तेरा अंजाम क्या
काहे पैसे पे
काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है
काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है
यही पैसा तो
यही पैसा तो अपनों से दूर करे है
दूर करे है
काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है
ग़ुरूर करे है
सोने-चाँदी के ऊँचे महलों में
दर्द ज़्यादा है चैन थोड़ा है
दर्द ज़्यादा है चैन थोड़ा है
इस ज़माने में पैसे वालों ने
प्यार छीना है दिल को तोड़ा है
प्यार छीना है दिल को तोड़ा है
पैसे की अहमियत से तो इंकार नहीं है
पैसा ही मगर सब कुछ सरकार नहीं है
इन्साँ इन्साँ है पैसा पैसा है
दिल हमारा भी तेरे जैसा है
है भला पैसा तो बुरा भी है
ये ज़हर भी है ये नशा भी है
ये ज़हर भी है ये नशा भी है
ये नशा कोई
ये नशा कोई धोखा ज़रूर करे है
यही पैसा तो हाँ
यही पैसा तो अपनों से दूर करे है
दूर करे है
काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है
ग़ुरूर करे है
अरे चले कहाँ
ऐ पैसे से क्या क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे
ऐ दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे
बाज़ारों में प्यार कहाँ बिकता है
दुकानों पे यार कहाँ बिकता है
फूल बिक जाते हैं खुशबू बिकती नहीं
जिस्म बिक जाते हैं रूह बिकती नहीं
चैन बिकता नहीं ख़्वाब बिकते नहीं
दिल के अरमान बेताब बिकते नहीं
अरे पैसे से क्या क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे
ऐ दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे
हे इन हवाओं का मोल क्या दोगे
इन घटाओं का मोल क्या दोगे
अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद
आसमानों का मोल क्या दोगे
हे इन हवाओं का मोल क्या दोगे
इन घटाओं का मोल क्या दोगे
अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद
आसमानों का मोल क्या दोगे
इन घटाओं का मोल क्या दोगे
अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद
आसमानों का मोल क्या दोगे
पास पैसा है तो है ये दुनिया हसीं
दुनिया हसीं
हो ज़रूरत से ज़्यादा तो मानों यक़ीं
मानों यक़ीं
ये दिमाग़ों में
ये दिमाग़ों में पैदा फ़ितूर करे है
यही पैसा तो
यही पैसा तो अपनों से दूर करे है
दूर करे है
काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है
ग़ुरूर करे है
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Kaahe paise pe itna guroor-Lawaris 1981
Artists: Amitabh Bachchan, Zeenat Aman
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