अब कहाँ जाएँ हम-उजाला १९५९
फिल्म उजाला के लिए शंकर जयकिशन ने इसकी धुन बनाई और
जिसे मन्ना डे ने गाया.
फिल्म उजाला एक ऐसे युवक की कहानी है जो परिस्थितियों के
चलते गली के गुंडों-आवारा-मवालियों में शामिल हो जाता है मगर
उसकी अंतरात्मा उससे कुछ और कह रही है. ऐसे किरदार फिल्मों
में हों तो जनता की उनसे सिम्पैथी देखते ही बनती है. फ़िल्मी हीरो
को उदारवादी दृष्टि से देखा जाता है. फिल्म के कथानकों में ये सफाई
भी साथ साथ दी जाती है कि नायक फलां फलां वजहों से बुरा बना.
फिल्मों ने ये ज़रूर बतला दिया कि सभी किस्म के मानवों के दिल
में कुछ कुछ होता है और वे सब रोमांटिक गीत गा सकते हैं.
भटकाव के रास्ते पर चल रहे फ़िल्मी युवाओं को रौशनी फिल्म के
कथानक दिखा देते हैं मगर वास्तविक जीवन में ऐसे वाकये कम
होते हैं. फ़िल्में एक जरिया हैं समाज को सन्देश देने का मगर
इसका असर कितना होता है इसपर शोध आज भी जारी हैं. जनता
अपनी सुविधा और सहूलियत के सामान पर गौर करती है. जो
अवचेतन में दबी हुई इच्छा है उसकी फिल्मों के माध्यम से कुछ
हद तक पूर्ती हो जाती है चाहे मानसिक ही हो.
गीत के बोल:
अब कहाँ जाएँ हम ये बता ऐ ज़मीं
इस जहां में तो कोई हमारा नहीं
इस जहां में तो कोई हमारा नहीं
अपने साये से भी लोग डरने लगे
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब कहाँ जाएँ हम
हम घर घर जाते हैं ये दिल दिखलाते हैं
पर ये दुनिया वाले हमको ठुकराते हैं
हम घर घर जाते हैं ये दिल दिखलाते हैं
पर ये दुनिया वाले हमको ठुकराते हैं
रास्ते मिट गये मंज़िलें खो गईं
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब कहाँ जाएँ हम
नफ़रत है निगाहों में वहशत है निगाहों में
ये कैसा ज़हर फैला दुनिया की हवाओं में
नफ़रत है निगाहों में वहशत है निगाहों में
ये कैसा ज़हर फैला दुनिया की हवाओं में
प्यार की बस्तियाँ ख़ाक होने लगीं
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब कहाँ जाएँ हम
हर साँस है मुश्किल की हर जान है इक मोती
बाज़ार में पर इनकी गिनती ही नहीं होती
हर साँस है मुश्किल की हर जान है इक मोती
बाज़ार में पर इनकी गिनती ही नहीं होती
ज़िन्दगी की यहाँ कोई कीमत नहीं
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं
अब कहाँ जाएँ हम ये बता ऐ ज़मीं
इस जहां में तो कोई हमारा नहीं
अब कहाँ जाएँ हम
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Ab kahan jayen ham-Ujala 1959
Artist: Shammi Kapoor
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