आ रे भवरे आ-आनंद मठ १९५२
मधुर गीत सुनते हैं सन १९५२ की फिल्म आनंदमठ से. यह
गीत लिखा है शैलेन्द्र ने और इसका संगीत तैयार किया है
हेमंत कुमार ने.
आज़ादी के आन्दोलन की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म के २-३
गीत बेहद लोकप्रिय हैं.
गीत के बोल:
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ
आ रे भँवरे आ ओ ओ ओ ओ
आ रे भँवरे आ
महकी मेरे मन की बगिया
फूल फूल पे जा रस पी जा
रस पी जा उड़ जा रसिया
आ रे भँवरे आ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ये दिन चार जवानी
ना डर आ कर ले मनमानी
ना डर आ कर ले मनमानी
आज शुरू कल खतम कहानी
गीत प्रीत के गा दिल बहला
क्या जाने कल क्या होगा
आ रे भँवरे आ ओ ओ ओ ओ
कल ना मैं ना तू होगा
ना होगी ये फुलवारी
इन सूनी राहों पे उडती होगी
धुल हमारी
ओ दर्द निशानी जिसकी
दर्द निशानी
ओ दर्द निशानी जिसकी
दर्द निशानी
ओ जिसकी दर्द निशानी
ऐसी दो दिन की जिंदगानी
ऐसी दो दिन की जिंदगानी
रहे ना राजा रहे ना रानी
एक आज का दिन अपना है
क्या जाने कल क्या होगा
आ रे भँवरे आ ओ ओ ओ ओ
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Aa re bhanwre aa-Anand Math 1952
Artist: Geeta Bali
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