हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई-लीडर १९६४
से एक रफ़ी का गाया गीत सुनते हैं. शकील बदायूनीं के
गीत की तर्ज़ बनाई है नौशाद ने.
जैसे प्यार मोहब्बत में सब जायज है वैसे ही हिंदी फ़िल्मी
गीतों की पंक्तियों में भी सब कुछ जायज है. अब कोई दूसरी
पंक्ति के शब्द ‘कर’ को ‘पर’ लिख दे तो इसका अर्थ कोई
सुपर-ज्ञानी ही समझ सकता है. ये अंतर ढेर सारी आँख मूँद
के बनाई गयी वेबसाइटों पर नज़र नहीं आता है.
उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
इधर हमने भी जान कर चोट खाई
गीत के बोल:
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
कहीं मुड़ न जाये तुम्हारी कलाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
सितम आज मुझ पर जो तुम ढा रही हो
बड़ी खूबसूरत नज़र आ रही हो
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
मुहब्बत में आये न तुम पर बुराई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
हमें हुस्न की हर अदा है गवारा
हसीनों का ग़ुस्सा भी लगता है प्यारा
उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
इधर हमने भी जान कर चोट खाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
करो खून तुम यूँ न मेरे जिगर का
बस इक वार काफ़ी है तिरछी नज़र का
यही प्यार को आज़माने के दिन हैं
यही प्यार को आज़माने के दिन हैं
किये जाओ हमसे यूँ ही बेवफ़ाई
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
कहीं मुड़ न जाये तुम्हारी कलाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
..................................................................
Hamin se mohabbat-Leader 1964
Artists: Dilip Kumar, Vaijayantimala
0 comments:
Post a Comment