अजनबी शहर है-जानेमन २००६
से. गुलज़ार का गीत है और अन्नू मलिक का संगीत.
जोर लगा के हैया-गायन शैली का अविष्कार २०१० के बाद
नहीं हुआ दोस्तों. ये तो बहुत पहले से शुरू हो गया था. इसके
बाद ‘जोर की भूख लगी है खाना दो’ शैली आई फिर आई
‘कस के लगी है रास्ता दो’ शैली.
गीत में खट्टी मीठी आँखें तो नहीं मगर पतली चांदनी मौजूद
है. गीत के अंत में वो कहावत-हरा हरा दिखना वाली को
प्रतीकात्मक तौर पर दिखलाया गया है. टी शर्ट नहीं बदलती
बस चेहरा बदलता रहता है.
गीत के बोल:
अजनबी शहर है अजनबी शाम है
ज़िन्दगी अजनबी क्या तेरा नाम है
अजीब है ये ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी अजीब है
ये मिलती है बिछड़ती है
बिछड़ के फिर से मिलती है
अजनबी शहर है अजनबी शाम है
आपके बग़ैर भी हमें
मीठी लगें उदासियाँ
क्या ये आपका आपका कमाल है
शायद आपको ख़बर नहीं
हिल रही है पाँव की ज़मीं
क्या ये आपका आपका ख़याल है
अजनबी शहर में ज़िन्दगी मिल गई
अजीब है ये ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी अजीब है
मैं समझा था क़रीब है
ये और का नसीब है
बात है ये इक रात की
आप बादलों पे लेटे थे
हूँ वो याद है आपने बुलाया था
सर्दी लग रही थी आपको
पतली चाँदनी लपेटे थे
और शॉल में ख़्वाब के सुलाया था
अजनबी ही सही साँस में सिल गई
अजीब है ये ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी अजीब है
मेरी नहीं ये ज़िन्दगी
रक़ीब का नसीब है
अजनबी शहर है अजनबी शाम है
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Ajnabi shahr hai-Jaaneman 2006
Artists: Preity Zinta, Akshay Kumar, Salman Khan
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