कैसे दिन जीवन में आये-अपने पराये १९८०
जीवन के अनुभवों को समेटे हुए ये गीत आँखों के सामने घूमने
वाली एक फिल्म की तरह है.
जीवन में कब कहाँ क्या छूट जाता है हाथ से छूटी रेत के मानिंद
इंसान समझ नहीं पाता.
फिल्म में अमोल पालेकर और शबाना आज़मी की प्रमुख भूमिकाएं
हैं. फिल्म में संगीत बप्पी लहरी का है. गीत किशोर कुमार ने गाया
है.
गीत के बोल:
कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
सभी अपने खोये सुख में सभी अपने खोये दुख में
हो ओ ओ सभी अपने खोये सुख में सभी अपने खोये दुख में
कौन देखे मेरे मन पे लगी है क्या ठेस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
मेरे अवगुण सभी देखें मेरे दुर्गुण सभी देखें
मेरे अवगुण सभी देखें मेरे दुर्गुण सभी देखें
कोई न पूछे उजड़ा कैसे मेरे मन का देस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
सारे बंधन सारे नाते यूँ ना पल में बिखर जाते
हो ओ ओ सारे बंधन सारे नाते यूँ ना पल में बिखर जाते
लोग बदले जैसे बदले यहाँ मौसम भेस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
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Kaise din jeevan mein aaye-Apne paraye 1980
Artists: Amol Palekar, Shabana Azmi
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