मैं तस्वीर उतारता हूँ-हीरा पन्ना १९७३
पेशे पर हाथ साफ़ कर सकता है. ज़रूरत पड़ने पर पहलवानी भी
कर सकता है तो कपडे पर प्रेस भी.
गीत के पहली दो पंक्ति से ये अर्थ लगाया जा सकता है कि फोटो
खींचने के बाद नायक केश कर्तन भी करता है लगता है उसका कोई
सैलून भी है. आगे की पंक्तियों का अर्थ आप स्वयं समझें.
सन १९७३ की फिल्म हीरा पन्ना से एक गीत सुनते हैं देव आनंद
पर फिल्माया गया. किशोर कुमार ने इसे गाया है. आनंद बक्षी की
आनंददायी रचना है जिसकी धुन तैयार की है आर डी बर्मन ने.
गीत के बोल:
मैं तस्वीर उतारता हूँ
बिखरी हुई हसीनों की जुल्फ़ें सवारता हूँ
फिर जुल्फ़ों के साये में मैं रातें गुज़ारता हूँ
मैं तस्वीर उतारता हूँ
बिखरी हुई हसीनों की जुल्फ़ें सवारता हूँ
फिर जुल्फ़ों के साये में मैं रातें गुज़ारता हूँ
कोई हसीना कितनी भी मग़रूर हो
हुस्न की दुनिया में कितनी मशहूर हो
कोई हसीना कितनी भी मग़रूर हो
हुस्न की दुनिया में कितनी मशहूर हो
मस्ती में चूर हो पास हो या दूर हो
अरे मस्ती में चूर हो पास हो या दूर हो
दौड़ी चली आती है मैं जिसको पुकारता हूँ
मैं तस्वीर उतारता हूँ
चाँद की भी ना पड़ी जिनपे किरण
मैने देखे उन हसीनों के बदन
चाँद की भी ना पड़ी जिनपे किरण
मैने देखे उन हसीनों के बदन
मेरा ऐसा है चलन जानेजां ओ जानेमन
तोड़ के सारे परदे मैं सबको निहारता हूँ
मैं तस्वीर उतारता हूँ
बिखरी हुई हसीनों की जुल्फ़ें सवारता हूँ
फिर जुल्फ़ों के साये में मैं रातें गुज़ारता हूँ
थक के साहिल पे समन्दर सो गया
याद तेरी आ गई मैं खो गया
थक के साहिल पे समन्दर सो गया
याद तेरी आ गई मैं खो गया
ये गया मैं वो गया ये मुझे क्या हो गया
ये गया मैं वो गया ये मुझे क्या हो गया
नाम तेरा लेता हूँ मैं जिसको पुकारता हूँ
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Main tasveer utarta hoon-Heera Panna 1973
Artists: Dev Anand, Zeenat Aman
1 comments:
बहुत धन्यवाद
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