बड़ी मुश्किल से काबू में-हमसाया १९६८
गीतकारों की कल्पनाओं पर कभी कभी दांतों तले उँगलियाँ दबाने
का मन करता है.
कहते हैं जब आप खुश होते हैं तो गाने की धुन सुनते हैं मगर जब
आप दुखी होते हैं तब आप बोलों का अर्थ समझते हैं. इस गीत को
मैंने कई बार सुना मगर एक दिन इसके बोल ध्यान लगा कर सुने
तो मैं इसका मुरीद हो गया. गीत की आधी ब्यूटी उसके मुखड़े के
पहले की पंक्तियों में है.
हसरत जयपुरी की कलम से निकला ये गीत फिल्म हमसाया के लिए
महेंद्र कपूर और आशा भोंसले ने गाया है. संगीत ओ पी नैयर का है.
जिंदगी की कई परतें दुःख की घड़ियों में ही खुला करती हैं.
गीत के बोल:
आज की रात कभी खत्म ना होने पाए
रोज होती है सहर आज ना होने पाए
आज की रात पे गुलशन की बहारें कुर्बान
चाँद से कह दे कोई आज ना खोने पाए
बड़ी मुश्किल से काबू में दिल-ए-दीवाना आया है
बड़ी मुश्किल से काबू में दिल-ए-दीवाना आया है
नहीं है कुछ खबर अपनी नशा उल्फत का छाया है
तुम्हारा था तुम्हारा हूँ तुम्हारा था तुम्हारा हूँ
तुम्हारा था तुम्हारा हूँ तुम्हारा ही रहूँगा मैं
तुम्हीं को दे दिया ये दिल तुम्हीं पे जान भी दूंगा मैं
मेरी पलकों पे देखो प्यार की पलकों का साया है
बड़ी मुश्किल से काबू में दिल-ए-दीवाना आया है
कोई देखे तुम्हें दिल तो गवारा कर नहीं सकती
कोई बाहों में ले ले भी गवारा कर नहीं सकती
मिटा कर अपनी हस्ती को तुम्हें अपना बनाया है
नहीं है कुछ खबर अपनी नशा उल्फत का छाया है
मुबारक हो तुम्हें ये प्यार ये घड़ियाँ मोहब्बत की
मुबारक हो तुम्हें ये प्यार ये घड़ियाँ मोहब्बत की
न कम हों रहती दुनिया तक कभी खुशियाँ मोहब्बत की
न कम हों रहती दुनिया तक कभी खुशियाँ मोहब्बत की
दुआ देने यहाँ अपना तो क्या बेगाना आया है
नहीं है कुछ खबर अपनी नशा उल्फत का छाया है
मोहब्बत एक शोला है तुम्हें समझाऊँ मैं कैसे
मोहब्बत एक शोला है तुम्हें समझाऊँ मैं कैसे
जामन सामने है बात ये बतलाऊँ मैं कैसे
तुम्हारी रौशनी देखी तो ये परवाना आया है
बड़ी मुश्किल से काबू में दिल-ए-दीवाना आया है
नहीं है कुछ खबर अपनी नशा उल्फत का छाया है
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Badi mushkil se kaboo mein-Humsaya 1968
Artists: Maloom nahin
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