एक दो फेरे बालम संग तेरे-तीन चोर १९७३
है ये तो आपको बतलाना ही पड़ेगा. इस गीत का दो गीतकारों
से सम्बन्ध जो है.
गीत में तीन चेहरे आपको दिखलाई देंगे. नायिका के अलावा जो
दो चेहरे हैं उनमें सबसे पहला चेहरा गुलशन बावरा का है. दूसरा
है नायक विनोद मेहरा का.
गीत लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने और इसकी धुन तैयार की है
सोनिक ओमी ने जिसे लता मंगेशकर गा रही हैं. तो जनाब हो
गया ना दो गीतकारों का कनेक्शन.
गीत के बोल:
एक दो फेरे बालम संग तेरे कहे तो मैं ले लूं अभी
हाय रे सात पूरे ना होंगे कभी हाय हाय हाय
एक दो फेरे बालम संग तेरे कहे तो मैं ले लूं अभी
हाय रे सात पूरे ना होंगे कभी हाय हाय हाय
एक दो फेरे
सॉरी सॉरी वैरी सॉरी दीवाने से पड़ गया पाला
दीवाना तो दीवाना है अभी इसे निपटा के आई
पेड़ के नीचे फुर्सत से फिर बातें होंगी अभी मैं आई
किसी से ना कहना जो मैं तुझसे कहूँ
लिखा है मेरे हाथ में कुंवारी रहूँ
हाय किसी से ना कहना जो मैं तुझसे कहूँ
लिखा है मेरे हाथ में कुंवारी रहूँ
रेखा सुहाग की है टूटी हुई
किस्मत जनम से है फूटी हुई रे रे रे
एक दो फेरे बालम संग तेरे कहे तो मैं ले लूं अभी
हाय रे सात पूरे ना होंगे कभी हाय हाय हाय
एक दो फेरे
हाय बेचारा प्यार का मारा चक्कर कब से काट रहा है
सूख रहे हैं फिर भी पगला होंठ जुबान से चाट रहा है
अरे रे रे रे फिर आया तुम छुप जाओ छुप जाओ ना
वैसे तेरे प्यार में ये दिल तो जले
के विधि के विधान पे तो बस ना चले
हाय वैसे तेरे प्यार में ये दिल तो जले
के विधि के विधान पे तो बस ना चले
राहू तो कब से है पीछे पड़ा
केतु भी आज मेरे आगे खड़ा
एक दो फेरे बालम संग तेरे कहे तो मैं ले लूं अभी
हाय रे सात पूरे ना होंगे कभी हाय हाय हाय
एक दो फेरे
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Ek do phere-Teen chor 1973
Artists: Zahida, Gulshan Bawra, Vinod Mehra
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