किसी गरीब के दिल से-सितमगर १९८५
में नौकरी करने वाले बखूबी जानते हैं. उसके अलावा जिसे क्षेत्र
में इसका आजकल ज्यादा उपयोग हो रहा है वो है राजनीति.
कहते हैं अच्छी स्ट्रेटेजी ना हो तो असफलता हाथ लगती है.
सुनते हैं अच्छी स्ट्रेटेजी के तहत फिल्म सितमगर से एक और
गीत सुन लेते हैं.
शैलेन्द्र की आवाज़ वाला ये गीत रेयर माना जाता है. इसके
गीतकार भी मजरूह हैं और संगीतकार आर डी बर्मन. गीत
वाकई रेयर है और इसे आप फिल्म में ढूंढते ही रह जायेंगे.
गीत के बोल:
किसी गरीब के दिल से
ये दिल्लगी ना करो
इतना सितम नहीं अच्छा
मेरी जान खुदा से डरो
किसी गरीब के दिल से
ये दिल्लगी ना करो
इतना सितम नहीं अच्छा
मेरी जान खुदा से डरो
हे दुनिया तो जाने नहीं दर्द मेरा
कम से कम बात सुनो तुम तो ज़रा
हो दुनिया जो चाहे ज़ुल्म करे
तुम तो मुझे जीने दो
किसी गरीब के दिल से
ये दिल्लगी ना करो
इतना सितम नहीं अच्छा
मेरी जान खुदा से डरो
हे कैसे भला अपना लूं ऐसे तुम्हें
हो कर डालूँ मैं बदनाम कैसे तुम्हें
हो ये तो ना होगा मुझसे सनम
चाहे तुम कुछ भी कहो
किसी गरीब के दिल से
ये दिल्लगी ना करो
इतना सितम नहीं अच्छा
मेरी जान खुदा से डरो
हो नाम-ए-खुदा अब देखो
तुम हो जवान
हो बीट गए बचपन के दिन वो कहाँ
ओ जिद नकारो मिल जाओ गले
ज्यादा ना सताओ मुझे
किसी गरीब के दिल से
ये दिल्लगी ना करो
इतना सितम नहीं अच्छा
मेरी जान खुदा से डरो
मेरी जान खुदा से डरो
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Kisi gareeb ke dil se-Sitamgar 1985
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