May 25, 2018

ये शमा तो जली-आया सावन झूम के १९६९

फ़िल्मी गीतों के कुछ की वर्ड्स होते हैं उनमें से एक है शमा. ये
शमा परवाना या शमा रौशनी या सिर्फ शमा के बारे में हो सकता
है.

आया सावन झूम के फिल्म से रफ़ी का गाया एक लोकप्रिय गीत
सुनते हैं जो आनंद बक्षी की कलम से निकला है. इसका संगीत
लक्ष्मी प्यारे के स्टेबल से निकला है.

एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं ये इस गीत के ज़रिये समझा
जा सकता है. जैसे कपडे इस्त्री करने वाला इस्त्री से कपडे पर प्रेस
भी कर सकता है तो उसे जला भी सकता है. ऐसे बहुत से उदाहरण
हो सकते हैं मगर ऐसे उदाहरण हम उन विशेष पाठकों के लिए
कभी कभार देते हैं जो अदृश्य से आते हैं और झाड़ू लगा जाते हैं.
चिड़िया को भी दाना डालो तो बदले में कम से कम वो चूं चूं
कर के जाती है. इंसान कम से कम टिप्पणी तो कर ही सकता है.



गीत के बोल:

ये शमा तो जली रोशनी के लिये
इस शमा से कही आग लग जाये तो
ये शमा क्या करे
ये शमा तो जली रोशनी के लिये
इस शमा से कही आग लग जाये तो
ये शमा क्या करे
ये हवा तो चली सांस ले हर कोई
घर किसी का उजड़ जाये आँधी में तो
ये हवा क्या करे

चल के पूरब से ठंडी हवा आ गयी
चल के पूरब से ठंडी हवा आ गयी
उठ के परबत से काली घटा छा गयी
ये घटा तो उठी प्यास सबकी बुझे
आशियाँ पे किसी के गिरी बिजलियाँ तो
ये घटा क्या करे

ये शमा तो जली रोशनी के लिये

पूछता हूँ मैं सबसे कोई दे जव़ाब
पूछता हूँ मैं सबसे कोई दे जव़ाब
नाखुदा की भला क्या खता हैं जनाब
नाखुदा ले के साहिल के जानिब चला
डूब जाये सफीना जो मझधार में तो
नाखुदा क्या करे

ये शमा तो जली रोशनी के लिये

वो जो उलझन सी तेरे खयालों में हैं
वो जो उलझन सी तेरे खयालों में हैं
वो इशारा भी मेरे सवालों में हैं
ये निग़ाह तो मिली देखने के लिये
पर कही ये नजर धोखा खा जाये तो
तो ये निग़ाह क्या करे

ये शमा तो जली रोशनी के लिये
इस शमा से कही आग लग जाये तो
ये शमा क्या करे
………………………………………………….
Ye shama to jail-Aaya sawan jhoom ke 1969

Artists: Dharmendra, Asha Parekh

1 comments:

Satish Gaud,  March 26, 2020 at 12:56 PM  

ha ha ha

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