ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय-आनंद १९७०
गीतकारों में से थे. शैलेन्द्र के अवसान के बाद जो स्थान रिक्त
हुआ बॉलीवुड के संगीत क्षेत्र में उसकी भरपाई के लिए विकल्प
तलाशते सलिल की मुलाकात संघर्षरत योगेश गौड़ से हुई.
सलिल को शैलेन्द्र वाली बात योगेश कई लेखनी में नज़र आई.
योगेश को इस फिल्म के गीत लिखने के मौका मिल गया.
ये सब आप दूसरी जगह पढ़ चुके होंगे अतः कहानी मैं इधर
रिपीट नहीं करूँगा.
गीत का पहला अन्तरा काफी गहराई वाला है. कम शब्दों में
पूरी जीवन-गाथा है. ईश्वर ने ये जो मन नाम की चीज़ दे दी
है मनुष्य को वो उसे मायाजाल में उलझाये रखती है. सपने,
अभिलाषाएं, आकांक्षायें, अपेक्षाएं और बंधनों के भंवर से
मनुष्य जीवन पर्यंत निकल नहीं पाता और तेरा-मेरा करते-करते
एक दिन सब यहीं धरा रह जाता है.
गीत के बोल:t
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे पीछे सपनों के भागे
कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही
चला जाए सपनों के आगे कहाँ
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख दुःख संग-संग झेले
जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख दुःख संग-संग झेले
वही चुन कर ख़ामोशी
यूँ चली जाए अकेले कहाँ
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
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Zindagi kaisi hai paheli-Anand 1970
Artist: Rajesh Khanna, Amitabh Bachchan, Sumita Sanyal
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