दिल विल प्यार व्यार-शागिर्द १९६७
नहीं है जिन्हें सुनना है वो सुनेंगे और जिनको कॉपी और
केवल कॉपी पेस्ट करना है वो वही करेंगे. जब हमने ब्लॉग
शुरू किया था तब गिनती की वेबसाईट हुआ करती थीं. अब
सैकड़ों हैं.
सुनते हैं फिल्म शागिर्द से लता मंगेशकर का गाया हुआ
लोकप्रिय गीत. मजरूह सुल्तानपुरी की रचना है और इसे
संगीतबद्ध किया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने. नायिका को
तो आप पहचान ही गए होंगे.
https://www.youtube.com/watch?v=oHADwPlnPgo
गीत के बोल:
अय्या अय्या अय्या
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार
अय्या
तू है बुरा तो होगा पर बातों में तेरी रस है
जैसा भी है मुझे क्या अपना लगे तो बस है
घर है तेरा
घर है तेरा जिस नगरी में चाहे जो हो तेरा नाम रे
घर-वर नाम-वाम मैं क्या जानूँ रे
घर-वर नाम-वाम मैं क्या जानूँ रे ...
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार
आदत नहीं के सोचूँ कितनों में हसीन है तू
लट में हैं कितने घूँघर नैनों में कितना जादू
बस तू मोहे
बस तू मोहे अच्छा लागे इतने ही से मुझ को काम रे
लट-वट नैंन-वैन मैं क्या जानूँ रे
लट-वट नैंन-वैन मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार
कुछ जानती तो कहती रुत बन कर के मैं खिली हूँ
डाली सी झूमती मैं साजन से आ मिली हूँ
तू ही जाने रुत है कैसी और है कितनी रँगीं शाम रे
रुत-वुत शाम-वाम मैं क्या जानूँ रे
रुत-वुत शाम-वाम मैं क्या जानूँ रे ...
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार
पाया है जब से तुझको दिल पर नहीं है क़ाबू
एक प्यास है लबों पर बिखरे पड़े हैं गेसू
कुछ तो कह दे दर्द है कैसा कैसी प्यास है ये हर गाम रे
लब-वब प्यास-व्यास मैं क्या जानूँ रे
लब-वब प्यास-व्यास मैं क्या जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस इतना के मैं तुझे अपना जानूँ रे
दिल-विल प्यार-व्यार
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Dil vil pyar vyar-Shagird 1967
Artist: Saira Bano, Joy Mukherji
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