कोई पास आये...राम कसम-फिर कब मिलोगी १९७४
ऋषिकेश मुखर्जी ने किया है. इसके प्रमुख कलाकार
हैं माला सिन्हा, विश्वजीत, अभि भट्टाचार्य, डेविड,
बिपिन गुप्ता और देवेन वर्मा.
नायिका एक गांव वाली का भेस धर के नायक को
बेवकूफ़ बनाती है. उसकी ये चाल उसी पर उलटी
पड़ जाती है. वो नायक से प्रेम करती है इसलिए
उसने ऐसा किया. फिल्म का अंत सुखान्त है और
हमें सुखान्त अंत देखने की आदत है.
फिल्म में लता के गाये ३ सोलो गीत हैं उनमें से
इसकी धुन कैची है और ये गीत आपको गया बचपन
आई जवानी गीत की याद दिला देगा. वो भी लता
का गाया एक गीत है.
गीत के बोल:
कोई पास आये यूँ ही मुझे छू के मुस्कुराये
राम कसम बुरा नहीं मानूंगी
अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
हो कोई पास आये यूँ ही मुझे छू के मुस्कुराये
हाँ हाँ राम कसम बुरा नहीं मानूंगी
अरे अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
अलग रहे तो वो लहराये
मिले तो कुछ उसे हो जाये
अलग रहे तो वो लहराये
मिले तो कुछ उसे हो जाये
हाँ आहें भरे हलकी लबों से वो दिल की बातें सुनाये
राम कसम अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
हाँ कोई पास आये यूँ ही मुझे छू के मुस्कुराये
राम कसम बुरा नहीं मानूंगी
अरे अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
नजर करे सदा उल्फ़त की
बातें करे मेरी सूरत की
नजर करे सदा उल्फ़त की
बातें करे मेरी सूरत की
हाँ देखे कभी काजल छेड़े कभी आँचल
कभी मेरी नथें गिराये
राम कसम अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
हाँ कोई पास आये यूँ ही मुझे छू के मुस्कुराये
हाँ राम कसम बुरा नहीं मानूंगी
अरे अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
हो कोई पास आये यूँ ही मुझे छू के मुस्कुराये
हाँ राम कसम बुरा नहीं मानूंगी
अरे अल्लाह कसम बुरा नहीं मानूंगी
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Loi paas aaye…Ram kasam-Phir kab milogi 1974
Artist: Mala Sinha
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