Jun 26, 2018

तेरे प्यार को इस तरह-मैंने जीना सीख लिया १९५९

हिंदी फिल्म संगीत के महासागर में डुबकियां लगाते जाओ,
लगाते जाओ पर इसकी थाह नहीं मिल पाती. इतनी गहरायी
और विविधता है कि आप अचंभित ही महसूस करेंगे अपने
आप को. इसमें खटिया पटिया, चोली, जोबन सब है और
सौंदर्य रस से भरपूर सारा सामान मौजूद है

हम प्रस्तावना तो दर्द भरे गीत के लिए लिख रहे थे मगर
कबख्त चोली पोली बीच मं क्यूँ आ जाती है समझ नहीं
पाते.

राहिल गोरखपुरी की रचना सुनिए रोशन के संगीत में बंधी
जिसे मुकेश ने गाया है.





गीत के बोल:

तेरे प्यार को इस तरह से भुलाना
न दिल चाहता है न हम चाहते हैं
जो सच था उसे इक फ़साना बनाना
न दिल चाहता है न हम चाहते हैं

वो मासूम सूरत भोली निगाहें
रहेंगी सदा दिल में आबाद होकर
न पूरी हुई जो उसी आरज़ू में
मिलेगा हमें चैन बरबाद हो कर
कि उजड़ी हुई ज़िन्दगी को बसाना
न दिल चाहता है न हम चाहते हैं

समझ में न आया कि हर इक ख़ुशी से
ये दिल आज बेज़ार क्यों हो गया है
तेरे ग़म में बहते हुए आँसुओं से
न जाने हमें प्यार क्यों हो गया है
कि भूले से भी अब कभी मुस्कराना
न दिल चाहता है न हम चाहते हैं
…………………………………..
Tere pyar ko is tarah se-Maine jeena seekh liya 1959

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