तुमने मुझे देखा-तीसरी मंजिल १९६६
होता था विशेषकर वे गीत जो रफ़ी द्वारा गाये गए. आज एक गीत
सुनते हैं फिल्म तीसरी मंजिल से जो मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा
हुआ है.
पोस्ट लिखते समय मुझे सबसे पहले गीतकार की ही याद आती है,
उसके बाद संगीतकार और उसके बाद गाने वाले की. हालांकि ज़्यादा
पोपुलरिटी गायक के हिस्से में ही आती है. कई किस्मों के संगीत
रसिक होते हैं, अधिकांश ऐसे होते हैं जिन्हें गीत के निर्माण और राग
इत्यादि में कोई दिलचस्पी नहीं होती. सुनने में अच्छा है इसलिए
सुनते हैं. वैसे सही भी है जो चीज़ अपने आप अच्छी लगे बिना किसी
टेक्निकलिटी में उलझे, वो निस्संदेह कोई बेहतर चीज़ ही है इसलिए
कानों को लुभाती है.
सुनते हैं रफ़ी का गाया गीत जिसका संगीत आर डी बर्मन ने तैयार
किया है. गीत के साथ ही रफ़ी के लाइव शो में गाये इस गीत की
क्लिप की लिंक भी है.
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गीत के बोल:
तुमने मुझे देखा हो कर मेहरबान
रुक गई ये ज़मीन थम गया आसमान
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा हो कर मेहरबान
रुक गई ये ज़मीन थम गया आसमान
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा
ओ कहीं दर्द के सेहरा में .
रुकते चलते होते
इन होंठों की हसरत में
तपते जलते होते
मेहरबान हो गयीं ज़ुल्फ़ की बदलियाँ
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा हो कर मेहरबान
रुक गई ये ज़मीन थम गया आसमान
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा
ओ ले कर ये हसीं जलवे
तुम भी ना कहाँ पहुंचे
आखिर को मेरे दिल तक
क़दमों के निशाँ पहुंचे
खत्म से हो गए रास्ते सब यहाँ
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा हो कर मेहरबान
रुक गई ये ज़मीन थम गया आसमान
जानेमन जानेजां
तुमने मुझे देखा
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Tumne mujhe dekha-Teesri Manzil 1966
Artists: Shammi Kapoor, Asha Parekh
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