धरती कहे पुकार के-शीषक गीत १९६९
की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है जिसमें सार यही है
अपनी जड़ों से जुड़े रहो चाहे प्लूटो के सैर ही क्यूँ
ना कर आओ.
फिल्म की कहानी बी आर इशारा ने लिखी है. ये कुछ
चौंकाने वाला सा है क्यूंकि बी आर इशारा अलग-हट-के
फ़िल्में बनाते रहे हैं. फिल्म का निर्देशन दुलाल गुहा ने
किये है और इसमें आपको तरुण बोस भी दिखलाई
देंगे. इस अच्छे कलाकारों के जमावड़े वाली फिल्म को
जनता का खूब प्यार मिला. इसके गाने भी लाजवाब
हैं.
फिल्म का शीर्षक गीत रफ़ी का गाया हुआ है. गीत में
सन्देश छुपा हुआ है. हम गीत ध्यान से सुनें तो पायेंगे
कि ये हमें अपनी मिटटी से प्यार करने के लिए प्रेरित
करता है.
गीत के बोल:
हो हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो हो
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
ओ मुझको चाहने वाले किसलिए बैठा हार के
मेरा सब कुछ उसी का है जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
है अजब सी बात जिस पर मुझको हंसना आये
है अजब सी बात जिस पर मुझको हंसना आये
जो मुझी से है वो मेरी माटी से शरमाये
आ पास मेरे मतवाले भरम ये क्यूँ बेकार के
मेरा सब कुछ उसी का है जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
आबरू जग में उसकी जो बस इतना जाने
आबरू जग में उसकी जो बस इतना जाने
हल चले इक हाथ से इक हाथ कलम को थामे
फिर शीश झुकेंगे सारे ही संसार के
मेरा सब कुछ उसी का है जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
ओ मुझको चाहने वाले किसलिए बैठा हार के
मेरा सब कुछ उसी का है जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
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Dharti kahe pukar ke-Titlesong 1969
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