देखो देखो जी-फ़र्ज़ १९६७
बानगी देते हैं आपको-इस गीत में १८ बार हम तुम
बोला गया है. देखो शब्द १२ बार आया है.
इसके आगे बतलाना की इच्छा नहीं हो रही क्यूंकि
ये आंकड़े आगे चल के गूगल पर तो मिलेंगे मगर
हमारे ब्लॉग के नाम के साथ नहीं. किसी और की
टोपी पर पंख जैसे चिपके मिलेंगे.
लता मंगेशकर का गाया हुआ ये गीत सुनते हैं. इस
गीत में हिनहिनाहट इफेक्ट का बेहद खूबसूरती से
इस्तेमाल हुआ है. हालांकि इस बात के लिये दूसरी
एक गायिका ज्यादा पहचानी जाती है.
क्या आप बतला सकते हैं जिस सीढ़ी से नायक
नायिका नीचे उतर रहे हैं उसके बाजू में एक फूलों
की झाडी है उसमें कौन से फूल लगे हैं?
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गीत के बोल:
देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
देखो देखौ जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
ऐसे रूठो ना हमसे खुदा के लिये
ऐसे रूठो ना हमसे खुदा के लिये
के हम हैं तैयार हर इक सजा के लिये
जो चाहे कह लो हमसे
सुन लो हमसे हाँ
देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
हुस्न तो इश्क की दास्तान बन गया
हुस्न तो इश्क की दास्तान बन गया
ये इश्क ऐसे में क्यूँ बेज़ुबान बन गया
हाँ छोडो ना ही कह दो
कुछ तो बोलो हाँ
देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
महबूब हमारी तुम्हें क्या पता
महबूब हमारी तुम्हें क्या पता
के हर कली बन गई आज महबूबा
ऐसे में तुम भी हमो
दिलवर कह दो हाँ
देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बागों में फूलों के मेले हैं
फ़िर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम
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Dekho ji dekho ji-Farz 1967
Artists: Jeetendra, Babita
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