बच्चे मन के सच्चे-दो कलियाँ १९६८
फिल्म से जिसकी रचन अकी है साहिर लुधियानवी ने.
लता मंगेशकर की आवाज़ वाले इस गाने का संगीत
रविशंकर शर्मा उर्फ रवि ने किया है.
बॉलीवुडिया फिल्मों में आपने जुड़वाँ भाई बहनों वाली
फ़िल्में तो देखी ही होंगी. इन सब में जुड़वाँ किरदार
वयस्क हैं. किसी में भी जुड़वाँ बच्चों वाला कथानक
नहीं है सिवाय फिल्म दो कलियाँ के.
कैलेण्डर के हिसाब से आज बाल दिवस है.
https://www.youtube.com/watch?v=CQuBmwOUFpU
गीत के बोल:
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे
खुद रूठे खुद मन जायें
फिर हमजोली बन जायें
झगड़ा जिसके साथ करें
अगले ही पल फिर बात करे
झगड़ा जिसके साथ करें
अगले ही पल फिर बात करे
इनको किसी से बैर नहीं
इनके लिए कोई गैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है
सबको बांह पसारे
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे
इंसान जब तक बच्चा है
तब तक समझ का कच्चा है
ज्यूं ज्यूं उसकी उमर बढ़े
मन पर झूठ का मेल चढ़े
क्रोध बढे नफ़रत घेरे
लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापो से हट कर
अपनी उम्र गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे
तन कोमल मन सुन्दर है
बच्चे बड़ों से बेहतर हैं
इनमे छूत और छात नहीं
झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तक़रार नहीं
मज़हब की दीवार नहीं
इनकी नज़रों में एक है
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
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Bachche man ke sachche-Do kaliyan 1968
Artist: Neetu Singh
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