कुछ चाहे ए आ-यौवन १९७३
करते हैं. इनमें से किसी में गैस निकलती है तो किसी
में द्रव्य उत्पन्न होता है. किसी रिएक्शन में ऑक्सीजन
निकलती है तो किसी में एच-टू-एस गैस.
बॉलीवुड अपने आप में एक प्रयोगशाला ही तो है. संगीत
के क्षेत्र में गाने कैसे बनायें से लगा कर गाना कैसे ना
बनायें पर हजारों प्रयोग हो चुके हैं.
आशा भोंसले की आवाज़ से संगीतकार इतने विस्मृत,
चमत्कृत हुए कि उन्होंने तरह तरह के गीत उनसे गवा
लिए. नैयर ने जो प्रयोग छोड़ दिए थे वो सोनिक ओमी
और आर डी बर्मन ने पूरे कर दिए. ज्यादा डिटेल में
जायेंगे तो १० पन्ने का निबंध जो जायेगा इसलिए जो
जितना है उसे समझ लें.
एक गीत सुनते हैं १९७३ की फिल्म यौवन से जिसे नए
साल के जश्न पर गाया जा रहा है. गीत में हालांकि नए
साल का जिक्र नहीं है अतः हम लकीरों के फ़कीरों का
अनुसरण करते हुए इसे सामान्य तौर पर ही सुनवा रहे
हैं.
गीत के बोल:
कुछ चाहे ए आ कुछ ढूंढें ए आ
कुछ मांगे मेरा यौवन
बलखाये तरसाए तड़पाए मुझे तन मन ये
ये ये ये क्या हुआ
हो कुछ चाहे ए आ कुछ ढूंढें ए आ
जाने मुझे ये कैसी आग लगी
मुझसे तो ये बुझ ना पाये हा हा हो हो हे हे
जाने मुझे जाने मुझे ये कैसी आग लगी
मुझसे तो ये बुझ ना पाये
तडपता है अब तो यौवन रातें हैं मेरी दुश्मन
मुझे तन मन ये ये ये ये क्या हुआ
हो कुछ चाहे ए आ कुछ ढूंढें ए आ
मैं हूँ कहाँ ये मुझे होश नहीं है
जो भी हो जाए हा हा हो हो हे हे
मैं हूँ कहाँ मैं हूँ कहाँ ये मुझे होश नहीं है
होता है जो भी हो जाये
मेरी आँखों में है तेरा दीवानापन
साँसों में है उलझन ये ये ये ये क्या हुआ
हो कुछ चाहे ए आ कुछ ढूंढें ए आ
कुछ मांगे मेरा यौवन
बलखाये तरसाए तड़पाए मुझे तन मन ये
ये ये ये क्या हुआ
हो कुछ चाहे ए आ कुछ ढूंढें ए आ
.......................................................
Kuchh chaahen-Yauwan 1973
Artist: Yogita Bali
0 comments:
Post a Comment