हाय रे वो दिन क्यूँ ना आये-अनुराधा १९६०
डॉक्टर से उसे प्रेम हो जाता है और शादी के बाद वो
डॉक्टर के साथ गांव आ जाती है जहाँ डॉक्टर अपनी
प्रेक्टिस करता है. धीरे धीरे डॉक्टर व्यस्त होता चला
जाता है और नायिका की भूमिका एक कामकाजी घरेलू
महिला तक सीमित रह जाती है.
गीत में नायिका हाय हाय करते हुए अपने सुनहरे दिन
याद कर रही है. शैलेन्द्र के लिखे गीत की तर्ज़ तैयार
की है सितार वादक पंडित रविशंकर ने. लता मंगेशकर
ने इसे गाया है. सिंगल हाय और डबल हाय में फर्क
होता है और दोनों के एक्सप्रेशन भी अलग अलग होते
हैं. परदे पर गीत गाने वाली नायिका हैं लीला नायडू.
गीत के बोल:
हाय रे वो दिन क्यों ना आये
जा जा के ऋतु लौट आये
हाय रे वो दिन क्यों ना आये
झिलमिल वो तारे कहाँ गये सारे
मन बाती जले बुझ जाये
हाय रे वो दिन क्यों ना आये
सूनी मेरी बीना संगीत बिना
सपनों की माला मुरझाये
हाय रे वो दिन क्यों ना आये
जा जा के ऋतु लौट आये
हाय रे वो दिन क्यों ना आये
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Haye re wo din kyun na aaye-Anuradha 1960
Artists: Leela Naidu, Balraj Sahni, Nazir Hussain
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