मैं रिक्शावाला-छोटी बहन १९५९
स्वयं एक रिक्शा वाले की भूमिका निभाई थी और
खूब रिक्शा चलाया था. १५ साल पहले की फिल्म
छोटी बहन में भी उन्होंने रिक्शा चलाया था और
एक गीत भी उन पर फिल्माया गया जिसे रफ़ी
ने गाया.
हल्का फुल्का गीत है और इसमें थोड़े कटाक्ष भी
हैं. गीत की शुरुआत ही कटाक्ष से होती है जब
नायक घोड़े की टाप वाले अंदाज़ में अपने पैर
चलाता है. गीत की पंक्ति ‘है चार के बराबर’ उसकी
पुष्टि करती है या उनका अभिनय गीत की पंक्तियों
की पुष्टि करता है, जैसा चाहें समझ लें.
सवारी को स्टेशन छोड़ने के बाद अगली सवारी
के लिए गुहार लगाता है. एक सवारी जेबें झाडती
हुई निकल जाती है. स्टेशन के बाहर रिक्शे वाले
सवारियों के दिमाग पर इतना जोर डालते हैं कि
कई सवारियां तो उनकी बक-बक को बंद करने के
लिए ही उनके रिक्शे में बैठ जाते हैं. ये सिलसिला
आज भी जारी है बस रिक्शे में इंजिन लग गया है.
कोई तीन टांग वाला है तो कोई चार टांग वाला.
जहाँ घोडा होना चाहिए वहाँ आदमी है.धूल उड़ाती
कार जब बाजू से गुज़रती है तो नायक सोचता है-
कहाँ थे कहाँ आ गये. समय किसे कहाँ ला पटके
और किसे कौन से आसमान पर बिठला दे, ये
प्रारब्ध के लेखे के सिवा कौन बतला सकता है.
संसाधन और उदारता के बीच व्युत्क्रमानुपाती
सम्बन्ध है. जैसे जैसे पैसे बढते जाते हैं, दिमाग
का एक कोना जो उदारता को प्रेरित करता है
सिकुड़ता जाता है. दुनिया का अधिकांश धन कुछ
प्रतिशत लोगों के पास ही है. इस विसंगति पर भी
प्रश्न है इस गीत में जिसका जवाब तो हम भी
खोज रहे हैं आज तक. गीतकार हैं शैलेन्द्र और
संगीतकार शंकर जयकिशन.
गीत के बोल:
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
है चार के बराबर ये दो टाँग वाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
दूर दूर दूर कोई मुझको बुलाये
मुझको बुलाये
क्या करूँ दिल उसे भूल न पाये
भूल न पाये
मैं रिश्ते जोडूं दिल के मुझे ही मंज़िल पे
कोई न पहुँचाये कोई न पहुँचाये
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
है चार के बराबर ये दो टाँग वाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
थी कभी चाँद तक अपनी उड़ान
अपनी उड़ान
अब ये धूल ये सड़क अपना जहान
अपना जहान
जो कोई देखे चौँकें ऊपर वाला भी सोचे
ये कैसा इंसान ये कैसा इंसान
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
है चार के बराबर ये दो टाँग वाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
रात दिन हर घड़ी एक सवाल
एक सवाल
रोटियां कम हैं क्यूँ क्यूँ है अकाल
क्यूँ है अकाल
क्यूँ दुनिया मे कमी हैं ये चोरी किसने की है
कहाँ है सारा माल कहाँ है सारा माल
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
है चार के बराबर ये दो टाँग वाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
कहाँ चलोगे बाबू कहाँ चलोगे लाला
मैं रिक्शावाला मैं रिक्शावाला
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Main riksha wala-Chhoti Behan 1959
Artist: Mehmood
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