Jan 12, 2019

ए दिल ए दीवाने-बाज़ १९५३

सन १९५३ की फिल्म बाज़ से एक गीत सुनते हैं. फिल्म का
नाम बाज़ की जगह चील होता तब भी क्या ये चलती. नाम
में क्या है, कहानी में दम होना चाहिए. असल बात तो ये हैं
फिल्म बनाने वालों में से अधिकाँश को मालूम नहीं होता कौन
सी फिल्म हिट होगी और क्यूँ. वैसे इस फिल्म का नाम १९५३
की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्मों में नहीं है.

फिल्म का नाम अलग हो तो पहले ये देखना होता है कि
फिल्म किसने बनाई कहीं वो किसी ज़माने में मिटटी का तेल
तो नहीं बेचता था, पैसे इकट्ठे हो गए तो फिल्म बना डाली.
फिल्म लाइन में पैसा लगाने वाले फाइनेंसर की भी बहुत
चलती है और कभी कभी उसके आगे निर्माता और निर्देशक
दोनों सायलेंसर हो जाते हैं.

फिल्म बाज़ एच जी फिल्म्स द्वारा निर्मित फिल्म है जिसका
निर्देशन गुरु दत्त ने किया है. उन्होंने खुद एक्टिंग भी की है.

महा-फिल्म शोले को शुरू में जनता ने खारिज कर दिया था.
क्या हुआ उसके बाद, शादी के रिसेप्शन में गाने की जगह
डायलॉग बजते मिलते थे-कितने आदमी थे, सूरमा भोपाली के
डायलॉग या ‘सुअर के बच्चों’. गब्बर का ये हाथ मुझे दे दे
ठाकुर. यह पहली ऐसी हिंदी फिल्म बनी जिसके संवादों का
बाकायदा एल पी रिकॉर्ड रिलीज़ हुआ. बॉलीवुड के इतिहास में
कहा जाने लगा-शोले के पहले और शोले के बाद. वैसे एक
बार और सिप्पी टीम को धन्यवाद देना चाहूँगा इस फिल्म
के लिए. फिल्म के टाइटल म्यूज़िक के लिए आर डी बर्मन
को भी.

फिल्म के नाम का क्या है. कुत्ते को प्यास क्यूँ लगी रख लो.
पैसे आने चाहिए बस. दर्शन, आकर्षण, प्रदर्शन गया भाड़ में.
सालों से जनता बेवकूफ बनती आ रही है इन फ़िल्मी सितारों
के चक्कर में. दरअसल हम इन्हें अपना आइडल मान लेते हैं.
इस देश में भगवान की पूजा के बाद शायद इन्हीं की पूजा
सबसे ज्यादा होती है.

सुनते हैं गीत जिसे लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने और जिसकी
धुन तैयार की है ओ पी नैयर ने. इसे गीता दत्त ने गाया है.





गीत के बोल:

ए दिल ए दीवाने
ए दिल ए दीवाने
ए दिल ए दीवाने
आग लगा ली क्यूँ दामन में
ओ ज़ालिम चाहत के बहाने
ए दिल ए दीवाने

जुर्म नहीं था दिल का लगाना
समझा कब नादान ज़माना
जुर्म नहीं था दिल का लगाना
समझा कब नादान ज़माना
एक नज़र और कितनी बातें
एक नज़र और कितनी बातें
एक खामोशी लाख फ़साने

ए दिल ए दीवाने
आग लगा ली क्यूँ दामन में
ओ ज़ालिम चाहत के बहाने
ए दिल ए दीवाने

ये तो नहीं है तेरी मंज़िल
दूर बहुत है अपना साहिल
ये तो नहीं है तेरी मंज़िल
दूर बहुत है अपना साहिल
अरमानों की नाज़ुक कश्ती
अरमानों की नाज़ुक कश्ती
लगी है तूफ़ां से टकराने

ए दिल ए दीवाने
आग लगा ली क्यूँ दामन में
ओ ज़ालिम चाहत के बहाने
ए दिल ए दीवाने
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Ae dil ae dil deewane-Baaz 1953

Artist: Geeta Bali

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