मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे-उसने कहा था १९६०
सलिल चौधरी और हृदयनाथ मंगेशकर के नाम याद आते
हैं ऐसी धुनें भी याद आ जाती है.
आज जो गीत हमने चुना है वह लोकप्रिय गीत है. सलिल
के संगीत वाले ऐसे काफी सारे गीत हैं जो लोकप्रिय नहीं
नहीं मगर मधुर हैं. धीरे धीरे आपको सुनवायेंगे.
खेत खलिहान हिट्स-है ना जी. सही श्रेणी चुनी है ना हमने
इस गीत के लिए. किसी ने इस गीत को झूला सोंग भी कहा
है. गीत में नायिका झूले पर भी झूल लेती है.गीत में युवा
नंदा आपको कूदती फांदती नज़र आएँगी.
गीत के बोल:
ओ हो हो हो हो हो हो हो
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे
ओ मेरे साजना रे धड़कता दिल पुकारे
आ आ आ आ जा
हो ओ ओ ओये मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे
ओ मेरे साजना रे धड़कता दिल पुकारे
आ आ आ आ जा
मेरा आँचल पकड़ के कह रहा मेरा दिल
मेरा आँचल पकड़ के कह रहा मेरा दिल
ज़माने की निग़ाहों से यहाँ छुप छुप के मिल
यहीं तन्हाई में दिल की कली जायेगी खिल
हो ओ ओ ओये
मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे
ओ मेरे साजना रे धड़कता दिल पुकारे
आ आ आ आ जा
अजब मस्ती में डूबा गीत गाती है हवा
अजब मस्ती में डूबा गीत गाती है हवा
दुपट्टा मेरा रह रह के उड़ाती है हवा
करूँ क्या आते-जाते छेड़ जाती है हवा
हो ओ ओ ओये
मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे
ओ मेरे साजना रे धड़कता दिल पुकारे
आ आ आ आ जा
मिलन के मदभरे चंचल ख़्यालों में मगन
मिलन के मदभरे चंचल ख़्यालों में मगन
मैं यूँ तकती हूँ तेरी राह ओ मेरे सजन
बहारों के लिए हो एक दिन जैसे चमन
हो ओ ओ ओये
मचलती आरज़ू खड़ी बाहें पसारे
ओ मेरे साजना रे धड़कता दिल पुकारे
आ आ आ आ जा
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Machalt arzoo-Usne kaha tha 1960
Artist: Nanda
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