Aug 14, 2019

मुहब्बत तर्क की मैंने-दोराहा १९५२

धीमे और सूदिंग किस्म के गीत रचने में अनिल बिश्वास और
कुछ संगीतकार जैसे-सी रामचंद्र, गुलाम मोहम्मद और कुछ
मात्रा में मदन मोहन लाजवाब रहे. इनमें एक नाम और जोड़
लेते हैं वो है सचिन देव बर्मन. फिल्म देवदास के गीत लाजवाब
हैं.

धीमी चाल वाले गीत बना के उन्हें लोकप्रिय बना पाना आसान
काम नहीं होता. गीतकार की मेहनत भी बढ़ जाती है. सुनते हैं
साहिर के बोलों और अनिल बिश्वास के संगीत वाला एक गीत
तलत महमूद की मखमली आवाज़ में.




गीत के बोल:

मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबां सी लिया मैंने
गरेबां सी लिया मैंने
ज़माने अब तो खुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैंने
ये भी पी लिया मैंने

अभी जिंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ये दिल में
अभी जिंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ये दिल में
के अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने
सहारे जी लिया मैंने
मोहब्बत तर्क की मैंने

तुझे अपना नहीं सकता मगर इतना भी क्या कम है
तुझे अपना नहीं सकता मगर इतना भी क्या कम है
के कुछ घड़ियाँ तेरे ख्वाबों में खो कर जी लिया मैंने
खो कर जी लिया मैंने
मोहब्बत तर्क की मैंने

बस अब तो मेरा दामन छोड़ दे बेकार उम्मीदों
बस अब तो मेरा दामन छोड़ दे बेकार उम्मीदों
बहुत दुःख सह लिये मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने
बहुत दिन जी लिया मैंने
मोहब्बत तर्क की मैंने
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Mohabbat tark ki maine-Doraha 1952

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