वैसे तो ज़माने में-बेवफा से वफ़ा १९९२
इत्यादि तो जनता कयास लगा लेती थी-सावन कुमार की फिल्म
है. आज के समय में तो ये भी मालूम करना मुश्किल होता है
कि फिल्म बनाने वाला एन आर आई है या एन आर ए है.
(NRA-Non resident American)
सावन कुमार भी समय के साथ चलने वाले फिल्मकार रहे हैं.
सन १९९२ की फिल्म में उन्होने विवेक मुशरान और नगमा को
बतौर हीरो हीरोईन लिया. फिल्म के निर्माता भी वही हैं. ऐसा
साहस करने वाले फिल्म मेकर कम हुए हैं फिल्म जगत में
जिनका निर्माण और निर्देशन दोनों पर बराबर का दखल रहा
हो.
गीत सावन कुमार ने लिखा है और धुन बनाई है उषा खन्ना
ने. गीत गाया है आशा भोंसले ने. सावन कुमार अपने गीतों
में सावन शब्द डालने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं मगर इस गीत
में वो शब्द नहीं है.
गीत नगमा की कुची-कू से शुरू होता है, अब ये निर्देशक ने
करने को बोला या नायिका ने अपने मन से किया मालूम नहीं.
विवेक मुशरान भी एक मासूम से हीरो हुए हैं. सीधे साधे से
दिखने वाले और आकर्षक हंसी के स्वामी विवेक ९० के दशक
के बाद फिल्मों में नहीं दिखाई दिए.
गीत के बोल:
वैसे तो ज़माने में बड़े लोग मिले हैं
वैसे तो ज़माने में बड़े लोग मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
वैसे तो ज़माने में बड़े लोग मिले हैं
दिल के दरवाज़े पर दस्तक तो कई बार हुई
दिल के दरवाज़े पर दस्तक तो कई बार हुई
दिल-ए-नादान दिल मेहमान जी हमें आप मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
वैसे तो ज़माने में बड़े लोग मिले हैं
दिल की हसरत है सितारों से कोई मांग भरे
दिल की हसरत है सितारों से कोई मांग भरे
ऐसे साजन तो हज़ारों में जी हमें आप मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
वैसे तो ज़माने में बड़े लोग मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
बस प्यार के काबिल तो जी हमें आप मिले हैं
जी हमें आप मिले हैं
हाँ हमें आप मिले हैं
जी हमें बाप मिले हैं
जी हमें आप मिले हैं
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Waise to zamane mein-Bewafa se wafa 1992
Artists: Nagma, Vivek Mushran
2 comments:
विवेक नगमा से ज्यादा मासूम दिख रहे हैं.
हाँ
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